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कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी कर सकती हैं अपने इस्तीफे की पेशकश

दिल्ली:- पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अब आत्ममंथन कर रही है। आज शाम चार बजे से कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होनी है। अनुमान लगाया जा रहा है इस बैठक में सोनिया गांधी अपने इस्तीफे की पेशकश करेंगी। अगर सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर इस्तीफे की पेशकश पर आम सहमति बनती है तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे या मुकुल वासनिक को फिलहाल पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष (वर्किंग प्रेसिडेंट) बनाया जा सकता है। चर्चा इस बात की भी है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के इतिहास में अब तक के सबसे बुरे प्रदर्शन के बाद पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर सकती हैं।

नीतियों से लेकर कार्यप्रणाली पर उठे सवाल: पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस की हो रही लगातार हार से कांग्रेस नेतृत्व पर लगातार सवालिया निशान उठते रहे हैं। यह सवालिया निशान सिर्फ पार्टी नेतृत्व पर ही नहीं बल्कि उनकी नीतियाें, रणनीतियों और पूरी कार्यप्रणाली पर उठे हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों में पांच राज्यों में हुई करारी हार के बाद कांग्रेस आलाकमान रविवार शाम चार बजे कांग्रेस वर्किंग कमेटी की आपातकालीन बैठक बुला रहा है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बैठक से पहले चर्चा इस बात की हो रही है कि संभवत: सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दें।

वरिष्ठ पदाधिकारी नहीं चाहते सोनिया गांधी का इस्तीफा : पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ पदाधिकारी इस पक्ष में नहीं है कि सोनिया गांधी इस्तीफा दें। क्योंकि अगले कुछ महीनों में वैसे ही पार्टी के पूर्णकालीन अध्यक्ष का चुना जाना तय है। हालांकि, पार्टी के विश्वस्त सूत्र और गांधी परिवार से खास ताल्लुक रखने वाले एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि आलाकमान की ओर से ही मल्लिकार्जुन खड़गे या मुकुल वासनिक को फिलहाल अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किए जाने की भी बात उठी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि रविवार शाम चार बजे होने वाली बैठक में अगर सोनिया गांधी का इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो खड़गे या वासनिक में से किसी एक को अगले पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव होने तक पार्टी की कमान दी जा सकती है।

टिकट बंटवारे से नाराज कांग्रेस का एक धड़ा : पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में इस्तीफे की पेशकश प्रियंका गांधी की ओर से भी हो सकती है। क्योंकि प्रियंका गांधी पार्टी की न सिर्फ राष्ट्रीय महासचिव है बल्कि उत्तर प्रदेश में चुनाव की मुहिम में सबसे आगे रही थीं। पार्टी से जुड़े एक नाराज नेता कहते हैं कि प्रियंका गांधी की नीतियां और रणनीतियां उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कहीं नहीं ठहरीं और कांग्रेस ने अपने इतिहास में का अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन किया। पार्टी का एक नाराज धड़ा प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने वाली रणनीतियां और टिकट बांटने की प्रक्रिया पर लगातार सवाल उठाता रहा है। ऐसे में अनुमान यह लगाया जा रहा है कि रविवार शाम को होने वाली बैठक में प्रियंका गांधी भी इस्तीफे की पेशकश कर सकती हैं। दरअसल प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में इस बार मेहनत तो बहुत की, लेकिन परिणाम जो आए वह कांग्रेस के इतिहास में सबसे ज्यादा निराशाजनक रहे।

अपनों से ही लड़ती रहती है कांग्रेस: पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बहुत जल्द ही कांग्रेस के पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव होना है ऐसे में किसी भी तरीके के फेरबदल का फिलहाल अब कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। हालांकि वह जरूर कहते हैं कि बीते कुछ समय से कांग्रेस का जो प्रदर्शन रहा है उससे गांधी परिवार और उनके नेतृत्व पर बड़े सवाल उठने लगे हैं। पार्टी के उक्त नेता का कहना है कि पंजाब में जिस तरीके का फैसला पार्टी नेतृत्व ने लिया है वह न सिर्फ आत्मघाती साबित हुआ बल्कि ऐसा लगता है कि पार्टी ने जानबूझकर पंजाब में ऐसी स्थिति पैदा की कि कांग्रेस के नेता ही आपस में लड़ते रहें। हरियाणा में कांग्रेस के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता करण दलाल कहते हैं कि कांग्रेस तो मैदान में दूसरे दलों से लड़ती ही नहीं है। वो कहते हैं कि कांग्रेस तो अपनों से ही लड़ती रहती है। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री और सांसद मनीष तिवारी राहुल गांधी पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि इस हार का पूरा जवाब राहुल गांधी ही देंगे।

ढर्रा नहीं बदला तो पार्टी के अस्तित्व पर खड़े होंगे सवाल : कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि आने वाले कुछ दिनों में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव है। उसके बाद 2023 में भी कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री कहते हैं अगर कांग्रेस ने अपना ढर्रा नहीं बदला तो पार्टी के अस्तित्व पर ही बहुत बड़ा सवाल खड़ा होने लगेगा। वो कहते हैं कि पार्टी को जो भी निर्णय लेना होगा वह 2024 के लोकसभा चुनाव और इसी दरमियान होने वाले अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2027 के विधानसभा चुनावों और 2029 के भी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर के ही फैसला लेना होगा और टीम को मजबूत करना होगा

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