उत्तराखंड

शारदीय नवरात्र के नवम् दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया कन्या पूजन

देहरादून:- शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर माता दुर्गा के आखिरी स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की गई। नवरात्र के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा करने का विधान होता है और महा अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करते हुए मां की विदाई होती है। शुक्रवार को घरों और मंदिरों में कन्यापूजन किया गया।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शासकीय आवास पर शारदीय नवरात्र के नवम् दिवस पर अष्ट सिद्धियों की दात्री मां सिद्धिदात्री की आराधना कर लोक कल्याण के लिए प्रार्थना की। साथ ही सम्पूर्ण विधि-विधान से देवी स्वरूपा कन्याओं का पूजन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आदिशक्ति मां भगवती सभी प्रदेशवासियों का कल्याण करें और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें, ऐसी कामना करता हूं। इस बार शारदीय नवरात्रि पर दो तिथियां एक ही दिन पड़ने की वजह से अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति थी।

लोगों के मन में यह भ्रम बना है कि महा अष्टमी और नवमी तिथि 11 अक्तूबर को मनाएं या फिर 12 अक्तूबर को। शास्त्रों में नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने का विशेष महत्व होता है।
पंचांग की गणना के मुताबिक आश्विन माह की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्तूबर को हो गई, जिसका समापन 11 अक्तूबर को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर हुआ। इस तरह से अगर उदया तिथि के आधार पर बात करें तो अष्टमी तिथि 11 अक्तूबर को ही मनाई गई। जिन लोगों ने अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन किया। उन लोगों ने 11 अक्तूबर को दोपहर अष्टमी तिथि के समापन के पहले तक पूजा संपन्न कर व्रत का पारण कराया।

नवरात्रि में व्रत रखने के बाद कन्या पूजन करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं। सुख-समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद देती हैं। इसके साथ ही कन्या पूजन करने से कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है। कन्या पूजन करने से माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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