उत्तराखंड

देहरादून रिंग रोड पर चाय बागान की 350 बीघा जमीन पर सैकड़ों निर्माण, हाईकोर्ट के आदेश से बढ़ेगी मुश्किलें

देहरादून: हाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल पर यह मामला सही निकला तो सैकड़ों लोगों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। रिंग रोड पर जिस जमीन पर चाय बगान के नाम पर फर्जीवाड़ा करने मामला सामने आया है उस जमीन पर बीजेपी का नया बन रहा प्रदेश कार्यालय और सैकड़ों अन्य लोगों के आवास हैं। याचिका कर्ता विकेश नेगी का कहना है कि विवाद 350 बीघा जमीन को लेकर है। यह रिंग रोड पर हैं। इस जमीन पर ही बीजेपी का प्रदेश कार्यालय बन रहा है। वहीं लाडपुर से छह नंबर पुलिया, चक रायपुर, नत्थपुर में बड़ी आवादी भी इस जमीनों के हिस्सों में रजिस्ट्री करार रह रही है। होईकोर्ट में कहा गया है कि यहां रजिस्ट्रियां फर्जीवाड़े से हुई हैं। जनहित याचिका में कहा गया है कि राजा चंद्र बहादुर सिंह की जमीन जो सरप्लस लैंड है, उसको 1960 में सरकार में निहित करा जाना था। लाडपुर, नत्थनपुर और चक रायपुर समेत अन्य जमीन को भूमाफिया बेच रहे हैं।

तहसील में विवादित भूमि के दस्तावेज ही नहीं

देहरादून के चकरायपुर और उसके आसपास की लगभग 350 बीघा जमीन को लेकर विवाद है। याचिका कर्ता का कहना है कि यह सरकारी भूमि है। इसकी निजी संपत्ति के तौर पर खरीद फरौख्त की जा रही है। उनका कहना है कि आरटीआई में खुलासा हुआ है कि तहसील में इस संपत्ति के दस्तावेज ही मौजूद नहीं हैं। एडवोकेट विकेश नेगी के मुताबिक दस्तावेज न होने से साबित होता है कि यह भूमि सरकारी है और इसको खुर्द-बुर्द किया जा रहा है। रिंग रोड पर सूचना भवन के आसपास की जमीन पर कई बोर्ड लगे हैं एक व्यक्ति के नाम की संपत्ति होने के लगे हैं। इस भूमि को लेकर 1974 में ही विवाद था और इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सीलिंग से बचने के लिए इस जमीन पर चाय बागान लगाने की कोशिश की गयी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस भूमि की कोई सेलडीड बनती है तो यह जमीन सरकार की मान ली जाएगी।

एडवोकेट विकेश नेगी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद 1988 में 35 बीघा जमीन की सेल डीड बना दी और इस भूमि का दाखिला खारिज 19 मार्च 2020 को हुआ। इस आधार पर यह गैरकानूनी है। एडवोकेट विकेश नेगी ने के अनुसार उन्होंने इस भूमि को लेकर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी कि इसके सत्यापित दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएं। अपर तहसीलदार सदर ने बताया कि वाद संख्या 75/87 इंद्रावती बनाम कुंवर चंद्र बहादुर मौजा चकरायपुर का फैसला जो कि 17 जून 1988 को किया गया था उसके दस्तावेज नहीं हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *