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‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में रक्षा मंत्रालय ने फैसला लिया है कि अब भारतीय प्राइवेट कंपनियां बनाएगी सैन्य हेलिकॉप्टर

नई दिल्ली: ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बढ़ावा देने के लिए सैन्य हार्डवेयर क्षेत्र में रक्षा मंत्रालय ने प्राइवेट सेक्टर को मेजोरिटी हिस्सेदारी के साथ पब्लिक सेक्टर यूनिट या पीएसयू के साथ सहयोग करने और आवश्यक वेपन सिस्टम बनाने की इजाज़त देने के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया मैनुअल में संशोधन का फैसला लिया है। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक़, इसका परीक्षण भारतीय मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर के डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग में किया जाएगा। इस हेलिकॉप्टर को रूसी हेलिकॉप्टर एमआई-17 और एमआई-18 से बदलने की योजना है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ प्राइवेट सेक्टर के सहयोग से बनाए जाने वाले इस आईएमआरएच का वजऩ 13 टन होगा और इसका भारतीय सशस्त्र बलों में हवाई हमले, एंटी-सबमरीन, एंटी-शिप, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट और वीवीआईपी रोल के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। यह समझा जा रहा है कि भारतीय प्राइवेट कंपनियों ने पहले ही इस परियोजना में हिस्सा लेने के लिए अपनी उत्सुकता जताई थी और रक्षा मंत्रालय ने उन्हें अगले सात सालों में इनके निर्माण का निर्देश दिया है। इससे पहले फ्रांसीसी सफ्रान ने 8 जुलाई को भारतीय एचएएल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है, ताकि इंडियन नेवी सहित आईएमआरएच इंजन के डेवलप, प्रोड्यूस और सपोर्ट के लिए एक नई ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई जा सके।

अधिकारियों के मुताबिक़, प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को अपने उत्पादन का 25 फीसदी निर्यात करने और देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करने की इजाज़त होगी। भारतीय सशस्त्र बलों को विकसित आईएमआरएच खरीदने के लिए कहा गया है जिसे अगले सात वर्षों में लागू किया जाना है। प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने रक्षा मंत्रालय से यह आश्वासन मांगा है कि भारतीय सशस्त्र बलों को तब भी आईएमआरएच खरीदना चाहिए, अगर उसका अगल पांच वर्षों में समयसीमा और पैसे बचाकर निर्माण किया जाता है।

प्राइवेट सेक्टर को 51 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने और भारतीय सार्वजनिक यूनिट के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाने की इजाज़त देने का निर्णय लिया गया है, ताकि इसकी लागत को कम किया जा सके। साथ ही देरी की वजह से मोदी सरकार के पास अन्य देशों से टेंडर या सरकारी मार्ग के ज़रिए बहुत आवश्यक मशीनों को खरीदने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था।

आईएमआरएच के अगले पांच-सात साल में शुरु होने की उम्मीद है। इस बीच भारतीय सेना खेमे में इस साल के अंत तक भारत का अपना पहला एंटी-सबमरीन वॉरफेयर सिरोस्की एमएच 60आर शामिल होने की उम्मीद है। हालांकि दो से तीन हेलीकॉप्टर पहले ही यूएस में सैन डिएगो नेवल स्टेशन द्वारा भारतीय नौसेना को प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए सौंपे जा चुके हैं, 21 हेलीकॉप्टरों की शेष डिलीवरी जल्द ही दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित 2.3 बिलियन अमरीकी डालर के फरवरी 2020 सौदे के मुताबिक शुरु होगी।

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