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उत्तराखण्ड संस्कृति, संस्कारो और लोकाचारो के ताने बाने को जोड़ती गढ़वाली माँगल लोकगीत एवं लोकाचार पुस्तक का लोकार्पण

देहरादून:– उत्तराखण्ड लोक संस्कृति से जुड़े उन सभी रीति रिवाज और परम्परा लोकाचार को हम देखते हुए आये हैं, आज के वर्तमान परिपेक्ष्य में यह लोकाचार पाश्चात्य संस्कृति के विकृति रूप में खोते चले गये हैं, लेकिन इस पुस्तक में हमारे संस्कारो को हमारे रीती रिवाजों को हमारे मांगलिक कार्यक्रम में सभी लोकाचारो जैसे पूजा, विधि, पूजा विधि में उपयोग होने वाली सामग्री, शादी, चूड़ाक्रम संस्कार में मांगल गीत, आदि के संबंध में गहनता से विमर्श और उल्लेख किया गया हैं, इस पुस्तक में हमारे लोकाचार में जो विधान हैं, उसके महत्व पर प्रकाश डाला गया है। नई पीढ़ी कि सुविधा के लिए इस पुस्तक को हिंदी अंग्रेजी में भी अनुवादित कर संकलित किया गया है।

पुस्तक की लेखिका श्रीमती शांति अमोली बिंजोल ने कहा कि इस पुस्तक में हमारे समाज में प्रचलित लोक समाज के मांगलिक विधान, और लोकाचारो को प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में हमारे समाज में 16 संस्कारो में मांगल गीतों को संकलित किया गया है। शादी में चूड़ाक्रम में माँगल गीत, गाली देने कि परम्परा रही है, उसको एकत्रित करने के साथ हीं इस पुस्तक में लोकाचार जैसे द्यु पाथ, बेदी, चौकी, गणेश पूजन, आदि का उल्लेख किया गया है।

पुस्तक का विमोचन उत्तराखंड के गढ़रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी कि मुख्य अतिथि, और कार्यक्रम कि अध्यक्षता वरिष्ठ समाज सेवी विजय जुयाल कि अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम का संचालन गणेश खुगशाल गणि द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि गढ़ रत्न नेगी जी ने कहा कि यह पुस्तक गढ़वाली साहित्य के लिए और शोध करने वालों के लिए मील का पत्थर साबित होंगी, यह आधुनिक पीढ़ी के लिए धरोहर साबित होंगी। हमारे संस्कारो में रचे बसें है, और प्रकृति के प्रति भी इसमें प्रेम को दर्शाया गया है, हम लोग प्रकृति के प्रति उदार ह्रदयी लोक संस्कृति से जुड़े जनमानस है।

कार्यक्रम में आकाशवाणी के अनिल भारती, धाद लोकभाषा के सचिव मृणाल पंत, वीना कंडारी, शांति प्रकाश जिज्ञाशु,रक्षा बौड़ाई, रमाकांत बेंजवाल, बीना बेंजवाल, सुनील थपलियाल, मनोज भट्ट, सत्यानंद बडोनी, सुरेश स्नेही, प्रेमलता सजवाण, अंजना कंडवाल, विनीता मैठानी, रतन अमोली, नत्थी प्रसाद अमोली, इंदु नौटियाल, महेशानंद अमोली आदि गणमान्य उपस्थित रहे।

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