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भारतीय संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन, कौन थे पंडित शिवकुमार शर्मा??

भारतीय संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। वह पिछले छह महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे। बता दें कि पंडित शिव कुमार शर्मा का सिनेमा जगत में अहम योगदान रहा। बॉलीवुड में ‘शिव-हरी’ नाम से मशहूर शिव कुमार शर्मा और हरि प्रसाद चौरसिया की जोड़ी ने कई सुपरहिट गानों में संगीत दिया था। इसमें से सबसे प्रसिद्ध गाना फिल्म ‘चांदनी’ का ‘मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां’ रहा, जो दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी पर फिल्माया गया था।

15 मई को होने वाला था कॉन्सर्ट 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक पंडित शिव कुमार शर्मा का 15 मई को कॉन्सर्ट होने वाला था। सुरों के सरताज को सुनने के लिए कई लोग बेताब थे। शिव-हरि की जुगलबंदी से अपनी शाम रौनक करने के लिए लाखों लोग इंतजार कर रहे थे। लेकिन अफसोस इवेंट से कुछ दिन पहले ही शिव कुमार शर्मा ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

कौन थे पंडित शिव कुमार शर्मा ??

पंडित शिवकुमार शर्मा (जन्म १३ जनवरी, १९३८, जम्मू, भारत) प्रख्यात भारतीय संतूर वादक थे। संतूर एक कश्मीरी लोक वाद्य होता है। इनका जन्म जम्मू में गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था। १९९९ में रीडिफ.कॉम को दिये एक साक्षातकार में उन्होंने बताया कि इनके पिता ने इन्हें तबला और गायन की शिक्षा तब से आरंभ कर दी थी, जब ये मात्र पाँच वर्ष के थे। इनके पिता ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि शिवकुमार प्रथम भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजायें। तब इन्होंने १३ वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया और आगे चलकर इनके पिता का स्वप्न पूरा हुआ। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में १९५५ में किया था।

शिवकुमार शर्मा संतूर के महारथी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी थे। एकमात्र इन्हें संतूर को लोकप्रिय शास्त्रीय वाद्य बनाने में पूरा श्रेय जाता है। इन्होंने संगीत साधना आरंभ करते समय कभी संतूर के विषय में सोचा भी नहीं था, इनके पिता ने ही निश्चय किया कि ये संतूर बजाया करें। इनका प्रथम एकल एल्बम १९६० में आया। १९६५ में इन्होंने निर्देशक वी शांताराम की नृत्य-संगीत के लिए प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म झनक झनक पायल बाजे का संगीत दिया।

१९६७ में इन्होंने प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से एल्बम कॉल ऑफ द वैली बनाया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है। इन्होंने पं.हरि प्रसाद चौरसिया के साथ कई हिन्दी फिल्मों में संगीत दिया है।फिल्म संगीत का श्रीगणेश १९८० में सिलसिला से हुआ था।इन्हें शिव-हरि नाम से प्रसिद्धि मिली। इनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में फासले (१९८५), चाँदनी (१९८९), लम्हे (१९९१) और डर (१९९३) हैं।

सम्मान

पंडित शिवकुमार शर्मा जी को कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार मिल चुके हैं। इन्हें १९८५ में बाल्टीमोर, संयुक्त राज्य की मानद नागरिकता भी मिल चुकी है। इसके अलावा इन्हें १९८६ में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, १९९१ में पद्मश्री, एवं २००१ में पद्म विभूषण से भी अलंकृत किया गया था।

  • पुरस्कार (शास्त्रीय संगीत एवं फिल्म)
  • प्लेटिनम डिस्क द कॉल ऑफ द वैली” के लिए
  • प्लेटिनम डिस्क सिलसिला (हिन्दी फिल्म) के लिए
  • गोल्ड डिस्क फासले (हिन्दी फिल्म) के संगीत के लिए
  • प्लेटिनम डिस्क चांदनी (हिन्दी फिल्म) के लिए
  • लमहे (हिन्दी फिल्म) के लिए विशिष्ट पुरस्कार
  • डर (हिन्दी फिल्म) के लिए विशिष्ट पुरस्कार

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