उत्तराखंड

केदारघाटी बचाव अभियान में स्थानीय लोग भी बने सूत्रधार

सोनप्रयाग:- चार दिन पहले केदारघाटी में मची उथल पुथल के बाद राहत कार्य में लगी एसडीआरएफ ,पुलिस व अन्य बचाव टीम ने हजारों श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को मौत के मुंह से निकाला।मध्य हिमालय की विषम भौगोलिक स्थितियों में केदार पैदल रूट पर चले इस बचाव अभियान को बेहद खतरनाक – रोमांचक व सफल अभियान में शुमार किया जाएगा।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग 12 हजार लोग जबरदस्त भू स्खलन के बाद टूटे रास्तों पर फंस गए थे। भारी बारिश, कोहरे, उफनती नदियों व टूटते पहाड़ों के बीच जमीनी व हवाई रास्ते से लोगों को नई जिंदगी देकर मिसाल कायम की।

एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया कि पहाड़ी चट्टानों में फंसे लोगों को तलाशने के लिए ड्रोन का बखूबी इस्तेमाल किया गया। ऐसे ही फंसे दो लोगों को ड्रोन के जरिये देखा गया। और फिर मुस्तैद एसडीआरएफ के जवानों ने रोप वे बनाकर दोनों को सकुशल निकाल लिया।

दरअसल, एसडीआरएफ सोनप्रयाग की टीम को अत्यंत महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त हुई कि 11 श्रद्धालु त्रिजुगीनारायण से ऊपर आठ किलोमीटर की दूरी पर जंगल में भटक गए हैं। उनके पास खाने-पीने का सामान समाप्त हो चुका था। उन्हें तत्काल मदद की आवश्यकता है।

मणिकांत मिश्रा ने बताया कि सूचना मिलते ही एसडीआरएफ की टीम 13 किलोमीटर के सड़क मार्ग से त्रिजुगीनारायण के लिए रवाना हुई।

त्रिजुगीनारायण पहुंचने के बाद एसआई जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में स्थानीय लोगों की साथ पांच किलोमीटर की दुर्गम चढ़ाई चढ़कर सोन नदी के किनारे पहुंचे। यहां का दृश्य अत्यंत विकट था – सोन नदी अपने सबसे तेज प्रभाव में बह रही थी। इसी दौरान, सूचना मिली कि 11 में से नौ श्रद्धालु सकुशल वापस आ चुके हैं लेकिन दो लोग अब भी फंसे हुए हैं।

ड्रोन से पूरे जंगल में तलाशा

एसडीआरएफ की टीम ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से ड्रोन का उपयोग कर सोन नदी के दूसरी ओर जंगल की सर्चिंग शुरू की। ड्रोन को ऊपर देख चट्टान पर बैठे दोनों युवकों ने आवाज लगाई। एसडीआरएफ की टीम ने सिटी बजाकर दोनों युवक जो खड़ी चट्टान के ऊपर खड़े थे। उनके लिए उनके नीचे उतरना असंभव था l

दिल्ली निवासी दो युवकों के लिए एसडीआरएफ बनी देवदूत

दोनों युवकों, अंकित पुत्र फाजिल मंडल और सुनील पुत्र महेश सिंह, जो सरिता विहार, दिल्ली के निवासी अत्यंत गंभीर स्थिति में थे। 31 जुलाई को बादल फटने के बाद वे गौरीकुंड में फंस गए थे। स्थानीय लोगों के कहने पर वे गौरीकुंड त्रिजुगी नारायण तोशी मार्ग पर चल दिए। उनकी संख्या 13 के करीब हो गई थी, लेकिन उनमें से कुछ लोग वापस चले गए और 9 लोग सकुशल सोनप्रयाग पहुंच गए। ये दोनों युवक थकान और बिना खाने-पीने के कारण धीमे-धीमे आगे बढ़ रहे थे और अपने साथियों से बिछड़ गए। अपने को अकेला पाते हुए, उन्होंने तुरंत सोनप्रयाग कोतवाली को अपने फंसने की सूचना दी।

एसडीआरएफ टीम का बहादुरी भरा साहसिक प्रयास

सेनानायक मणिकांत मिश्रा ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम ने रोप रेस्क्यू की मदद से विकराल नदी को पार किया और खड़ी चट्टान से दोनों युवकों को सुरक्षित नीचे उतारा। इसके बाद, एसडीआरएफ की टीम ने उन दोनों युवकों को सुरक्षित सोनप्रयाग कोतवाली पहुंचाया।

पुलिस महानिरीक्षक, एसडीआरएफ श रिधिम अग्रवाल ने श्री केदारनाथ यात्रा मार्ग में 5000 से अधिक यात्रियों को व त्रिजुगीनारायण में इन युवकों को कठिन परिस्थितियों में रेस्क्यू करने पर एसडीआरएफ टीम की सराहना की है। उनकी अदम्य साहस और त्वरित कार्रवाई ने इस असाधारण रेस्क्यू को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

इस रेस्क्यू ऑपरेशन में एसडीआरएफ के एसआई जितेंद्र सिंह के साथ आरक्षी रमेश रावत, आरक्षी हिमांशु नेगी,आरक्षी सोनू सिंह, होमगार्ड कर्मी कैलाश, पैरामेडिक्स अमृत एवं भूपेंद्र शामिल रहे। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में स्थानीय लोगों ने भी एसडीआरएफ का काफी सहयोग किया ।

स्थानीय लोगों ने विभिन्न स्थानों में फंसे लोगों की निशुल्क भोजन व्यवस्था कर उनके टूटते हौसलों को बनाये रखा।

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