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उत्तराखंड के मवेशियों पर लंपी वायरस का हमला, कई मवेशियों की मौत और सैकड़ों मवेशियों संक्रमित

देहरादून:- उत्तराखंड के मवेशियों पर लंपी वायरस ने हमला बोल दिया है। राज्य में कई मवेशियों की मौत और सैकड़ों मवेशियों संक्रमित होने की सूचना आ रही है। वहीं पशु चिकित्सक मवेशियों के इलाज में जुटे गये हैं। हरिद्वार जिले में कई मवेशियों की मौत और सैकड़ों मवेशियों के संक्रमित होने के बाद अब राजधानी दून में भी लंपी बीमारी ने मवेशियों पर हमला बोल दिया है। लंपी बीमारी से संक्रमित दर्जनों मवेशियों का पशु चिकित्साधिकारियों की अगुवाई में इलाज किया जा रहा है। फिलहाल पशु चिकित्साधिकारियों और पशुपालकों के लिए सुकून देने वाली बात यह है कि अभी तक लंपी बीमारी के चलते किसी भी मवेशी की मौत सामने नहीं आई है। दूसरी ओर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर विद्यासागर कापड़ी का कहना है कि यदि किसी भी मवेशी में लंपी बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो तत्काल इसकी जानकारी मुहैया कराएं। ताकि समय रहते बीमारी से संक्रमित मवेशियों का इलाज कर उनकी जिंदगी बचाई जा सके।

बता दें कि गुजरात समेत देश के कई राज्यों में मवेशियों पर जानलेवा संक्रमित बीमारी लंपी के फैलने के बाद उत्तराखंड के हरिद्वार में भी बीमारी ने पिछले दिनों हमला बोला था। लंपी बीमारी को रोकने को लेकर सरकार, शासन के निर्देश पर पशु चिकित्सा विभाग की ओर से तमाम एहतियाती कदम उठाए गए। लेकिन, इसके बावजूद बीमारी को फैलने से रोका नहीं जा सका। लंपी बीमारी हरिद्वार के अलावा देहरादून तक फैल गई है। राजधानी दून के कई डेयरी संचालकों के दुधारू पशुओं गाय और भैंस पर बीमारी ने हमला बोल दिया है। पशुपालकों की मानें तो कई गाय और भैंस की हालत गंभीर बनी हुई है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विद्यासागर कांपड़ी ने बताया कि फिलहाल पूरे जिले में 15 मवेशियों में बीमारी के संक्रमण की पुष्टि हुई है। सभी मवेशियों का टीकाकरण करने के साथ ही दवाइयां खिलाई जा रही हैं। फिलहाल अभी तक एक भी मवेशी की मौत की सूचना नहीं है। वहीं, चिकित्साधिकारियों की टीमें पशुपालकों को इस बात की भी जानकारी दे रही हैं कि लंपी बीमारी से संक्रमित मवेशियों को बचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

हरिद्वार में लंपी से अब तक 55 पशुओं की मौत, दो हजार संक्रमित,
लंपी संक्रमण से संक्रमित पशुओं की मौत का आंकड़ा 55 पहुंच चुका है। अब तक करीब दो हजार पशु संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। उधर, पशुपालन विभाग ने पशुपालकों से पशुओं की मौत की भरपाई के लिए उनका बीमा कराने की अपील की है।

देश के विभिन्न राज्यों समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाद हरिद्वार जिले में पशुओं में फैला लंपी संक्रमण बढ़ता जा रहा है। हर दिन संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। इससे संक्रमण की चपेट में आने से पशुओं की मौत होने का सिलसिला भी लगातार जारी है। हालांकि, पशुुपालन विभाग बीमारी को नियंत्रण करने का दावा कर रहा है लेकिन निरंतर बीमारी की चपेट में पशुओं के आने से पशुपालकों में भय का माहौल बना हुआ है। पशु चिकित्सा विभाग की ओर से मिले आंकड़े के अनुसार बुधवार तक जनपद में 55 पशुओं की मौत संक्रमण से हो चुकी है। जिलेभर में संक्रमित पशुओं की संख्या भी करीब दो हजार तक पहुंच चुकी है।

पशु चिकित्सा विभाग की ओर से लगातार टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसमें अभी तक प्रभावित क्षेत्रों में 4300 पशुओं को रोकथाम के लिए टीके लगाए जा चुके हैं। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश शर्मा ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में टीकाकरण जारी है। उन्होंने पशुपालकों से आह्वान किया है कि वे संबंधित पशु सेवा केंद्र या फिर पशु अस्पताल में जाकर पशुओं का बीमा करा लें। इससे अगर किसी पशु की मौत होती है तो उन्हें क्लेम के रूप में भरपाई का पैसा मिलने से राहत मिलेगी।

वायरस एलएसडीवी से फैल रही बीमारी
पशु चिकित्साधिकारियों की मानें तो लंपी बीमारी एलएसडीवी वायरस के जरिये फैल रही है। पशु चिकित्सा अधिकारियों के मुताबिक लंपी वायरस तीन प्रकार का होता है जिसमें कैप्री पॉक्स, गोट बॉक्स और शीप फॉक्स शामिल हैं।

क्या हैं मवेशियों में फैलने वाली लंपी बीमारी के लक्षण
– लंपी बीमारी से संक्रमित मवेशी को तेज बुखार होता है।
– मवेशी का वजन तेजी से गिरने लगता है।
– बीमारी से संक्रमित मवेशी के मुंह से लगातार लार निकलती है।
– मवेशी के आंख और नाक से पानी बहने लगता है।
– बीमारी से संक्रमित गाय और भैंस दूध कम देना शुरू कर देती हैं।
-बहुत अधिक हालत खराब होने पर मवेशी लंगड़ाकर चलने लगता है।

– कई बार बीमारी से संक्रमित गाय और भैंस का गर्भपात हो जाता है।
– लंपी बीमारी से संक्रमित दुधारू पशुओं में बांझपन की शिकायत हो जाती है

लंपी बीमारी से कैसे करें बचाव
– बीमारी से संक्रमित मवेशी को तत्काल दूसरे मवेशियों से अलग बांधें।
– बीमारी से संक्रमित पशुओं का तत्काल इलाज कराएं।
– एंटीबायोटिक दवाइयां देने के साथ ही एंटीइन्फ्लेमेटरी दवाइयां दें।
– बीमारी से संक्रमित मवेशी का खान-पान का ध्यान दें।
– क्योंकि लंपी बीमारी मच्छरों, मक्खियों और ततैयों से फैलती है। लिहाजा मवेशियों के आसपास साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें। साथ ही नीम की पत्तियां जलाएं ताकि मवेशियों को मच्छरों, मक्खियों से बचाया जा सके।

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