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“मेक इन इंडिया” को मिली सफलता,मॉरीशस अनुबंध पर हुए हस्ताक्षर

‘मेक इन इंडिया’ को एक बार फिर से बड़ी सफलता मिली है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने मॉरीशस सरकार के साथ उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH Mk III) के निर्यात के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका इस्‍तेमाल मॉरीशस पुलिस बल करेंगे। मॉरीशस सरकार पहले से ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड निर्मित एएलएच और डीओ-228 विमान संचालित कर रही है। एचएएल ने अपने बयान में कहा कि इस अनुबंध के साथ एचएएल और मॉरीशस सरकार ने तीन दशकों में लंबे समय से चले आ रहे अपने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत किया है।

यह समझौता मित्र देशों को रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है। अनुबंध पर एचएएल के हेलीकॉप्टर डिवीजन के महाप्रबंधक बीके त्रिपाठी और मॉरीशस सरकार के प्रधानमंत्री कार्यालय के गृह मामलों के सचिव ओके दाबिदीन द्वारा हाल ही में एचएएल के परिवहन विमान प्रभाग कानपुर हस्ताक्षर किए गए थे। एएलएच एमके थ्री 5.5 टन वजह की श्रेणी में एक मल्‍टी रोल, बहु-मिशन बहुमुखी हेलीकॉप्टर है।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बनाए इस हेलिकाप्‍टर ने भारत और विदेशों में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कई जीवन रक्षक मिशनों सहित विभिन्न उपयोगिता भूमिका में अपनी योग्यता साबित की है। अब तक इस तरह के 335 से अधिक एएलएच हेलिकाप्‍टरों का उत्पादन किया जा चुका है। बयान में कहा गया है कि एचएएल हेलि‍कॉप्टर की सेवाक्षमता को सुनिश्चित करने के लिए ग्राहकों को तकनीकी सहायता भी सुनिश्चित करता है।

बता दें की सरकार की रक्षा निर्यात बढ़ाने की योजनाओं को लगातार सफलताएं मिल रही हैं। हाल ही में फिलीपींस ने भारतीय ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के 37.49 करोड़ अमेरिकी डालर (2779 करोड़ रुपये) के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। यह प्रस्ताव फिलीपींस नौसेना के लिए तट-आधारित पोत रोधी मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति से संबंधित था। फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग ने प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद ब्रह्माोस के अधिकारियों को इसकी सूचना दी।

फिलीपींस सरकार के रक्षा विभाग ने अपनी वेबसाइट पर उक्‍त अनुबंध के नोटिस को अपलोड किया था। दरअसल रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और ब्रह्माोस एयरोस्पेस पिछले कुछ महीनों से मित्र देशों को इस मिसाइल का निर्यात करने में जुटे थे। जानकारों की मानें तो ब्रह्माोस के निर्यात से देश के रक्षा क्षेत्र में स्‍वदेशी अभियान को बड़ी मजबूती मिलेगी। इससे हथियार निर्यातक देशों की कतार में भारत भी तेजी से आगे बढ़ेगगा। इससे अन्य मित्र राष्ट्रों से भी मिसाइल के लिए आर्डर मिलने की उम्मीद है।

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