राष्ट्रीय

मोदी सरकार लॉन्च करने जा रही है अपनी ऑनलाइन ई-कॉमर्स की दुकान

यूपीआई डिजिटल पेमेंट की दुनिया में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। जिस तरह से यूपीआई ने ऑनलाइन पेमेंट को बदल कर रख दिया है ठीक उसी तरह केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की कोशिश है कि भारत में ऑनलाइन ई-कॉमर्स की दुनिया में एक ऐसा प्लेटफॉर्म लाया जाया जिससे बड़ी संख्या छोटे खुदरा विक्रेताओं को लाभ मिल सके और अमेजन और वॉलमार्ट जैसी कंपनियों पर भी लगाम लगाई जा सके। सरकार ने पांच शहरों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू भी कर दिया है।

भारत ने शुक्रवार को पांच शहरों में डिजिटल कॉमर्स के लिए खुले नेटवर्क का पायलट चरण शुरू किया। ओएनडीसी एक यूपीआई-प्रकार का प्रोटोकॉल है और इस पूरी कवायद का मकसद तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र को दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना, छोटे खुदरा विक्रेताओं की मदद करना और दिग्गज ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के वर्चस्व को कम करना है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में कहा, श्यूपीआई के बाद, कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने के लिए एक और आमूलचूल बदलाव के विचार – ओएनडीसी को आज चुनिंदा उपभोक्ताओं, विक्रेताओं और लॉजिस्टिक प्रदाताओं के लिए शुरू किया गया। विकल्प, सुविधा और पारदर्शिता की दुनिया के लिए तैयार हो जाइए।श्

इन पांच शहरों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू
दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयंबटूर में 150 खुदरा विक्रेताओं को जोड़ने का लक्ष्य है। इस पहल का उद्देश्य दो बड़ी बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों (अमेजन और फ्लिपकार्ट) के प्रभुत्व पर अंकुश लगाना है। ये कंपनियां देश के आधे से अधिक ई-कॉमर्स व्यापार को नियंत्रित करती हैं, बाजार तक पहुंच को सीमित करती हैं, कुछ विक्रेताओं को तरजीह देती हैं और आपूर्तिकर्ताओं के मार्जिन को कम करती हैं।

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने इस बारे में ब्योरा देते हुए कहा कि ओएनडीसी मानकों का एक समूह है, जिसे विक्रेता या लॉजिस्टिक प्रदाता या भुगतान गेटवे स्वैच्छिक रूप से अपना सकते हैं। इस समय 80 फर्में ओएनडीसी के साथ काम कर रही हैं और वे एकीकरण के विभिन्न चरणों में हैं। ये कंपनियां विक्रेता, खरीदार, लॉजिस्टिक या पेमेंट गेटवे के लिए अपने ऐप बना रही हैं।

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