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राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्कूलों को मातृभाषा में पढ़ाने की अनुमति, वर्चुअल माध्यम से किया ‘मातृभाषा उत्सव’ का उद्घाटन

देहरादून: लोक भाषाओं में बच्चों की अभिव्यक्ति बढ़ाने एवं मातृभाषा के प्रति बच्चों में सम्मान की भावाना विकसित करने के उद्देश्य से राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड द्वारा दो दिवसीय उत्तराखंड मातृभाषा उत्सव आयोजित किया गया है। जिसका उद्घाटन प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डाॅ0 धन सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से जुड़कर किया। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन लर्निंग के लिये मातृभाषा सबसे उचित माध्यम है क्योंकि छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा में कोई भी चीज सबसे तेजी से सीखते और समझते है, इसलिये जहां तक संभव हो बच्चों को मातृभाषा में ही शिक्षा दी जाय। उन्होंने कहा कि इसका प्रावधान बकायदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी किया गया है।

एससीईआरटी द्वारा किसान भवन सभागार देहरादून में आयोजित दो दिवसीय उत्तराखंड मातृभाषा उत्सव का आज शिक्षा मंत्री डाॅ0 धन सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि मातृभाषा में बच्चों की अभिव्यक्ति बढ़ाने के प्रयास किये जाने चाहिये। जिसमें अभिभावकों एवं शिक्षकों की भूमिका सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन लर्निंग के लिये मातृभाषा सबसे उचित माध्यम है, इसलिये जहां तक संभव हो बच्चों को मातृभाषा में ही शिक्षा दी जाय। डाॅ0 रावत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भी मातृभाषा में शिक्षा देने की अनुशंसा करती है, इसीलिये इस नीति में त्रि-भाषा फाॅर्मूला का प्रावधान किया गया है ताकि बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा स्थानीय भाषा में भी पढ़ाया जा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 17 मातृभाषाएं चिन्हित है, जिसमें विशेष रूप से गढ़वाली, कुमांऊनी, जौनसारी, रां, रंवाल्टी, जार, माच्र्छा, राजी आदि शामिल है। इसके अलावा प्रदेश में कई बोलियां भी बोली जाती है, जिन्हें संरक्षित करने के प्रयास किये जा रहे हैं।

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