उत्तराखंड

तेज गर्मी में धोखा दे रहीं रोडवेज बसें…यात्री बेबस, एक बार रीसेट करने की फीस 999 रुपये

तेज गर्मी में रोडवेज डिपो की बसें धोखा दे रही हैं। अधिकतर रोडवेज की बसें रूट पर ब्रेकडाउन हो जा रही हैं। गर्मी के कारण बसों के सेंसर पर असर पड़ रहा है जिसकी वजह से यात्रियों के साथ ही डिपो भी प्रभावित हो रहा है।

दरअसल, बीएस4 बसें पांच लाख से अधिक किमी चल चुकी हैं जिससे इन बसों में लगे सेंसर और प्लग आए दिन झटके लगने से हट जाते हैं या तो खराब हो जाते हैं। इसके लिए इन बसों को लैपटॉप के जरिए रिसेट किया जाता है।

गर्मी में चल रही तेज हवाओं और तपन के कारण भी यह सेंसर प्रभावित हो जाते हैं। जिस वजह से बसों का ब्रेकडाउन हो जाता है। अधिकारियों का कहना है कि बसों को समय-समय पर रिसेट करने के लिए लैपटॉप की जरूरत डिपो में है। लेकिन पूरे रीजन में मात्र एक लैपटॉप है जो कि काठगोदाम में है।

वहीं रूट पर ब्रेकडाउन होने के चलते कई बार यात्रियों का लंबा इंतजार करना पड़ जाता है या तो उन्हें दूसरी बस से गंतव्य के लिए भेज दिया जाता है। पिछले कई दिनों में बसों के ब्रेकडाउन के कई मामले सामने आ चुके हैं। बसों को समय से रीसेट करने के लिए लैपटॉप उपलब्ध कराने के लिए पत्र भी भेजा गया है लेकिन अभी कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। आमतौर पर डिपो से बसों को उनकी कंपनी में रीसेट के लिए भेज दिया जाता है या तो कंपनी से किसी को बुलाकर इन बसों को रीसेट किया जाता है।

एक बार रीसेट करने की फीस

999 रुपएफोरमैन मो. यामीन ने बताया कि बसों को एक बार रीसेट कराने के लिए 999 रुपये खर्च आता है। वहीं अगर कोई सेंसर, प्लग आदि में कोई खराबी आती है तो तीन हजार तक का खर्चा आ जाता है। बताया कि लैपटॉप होने से बसों को कार्यशाला में ही समय-समय पर रीसेट किया जा सकता है।

बसों में ब्रेकडाउन के मामले ज्यादातर सेंसर में खराबी की वजह से आते हैं जो सॉफ्टवेयर के जरिए ठीक किए जाती हैं। लैपटॉप की मदद से बसों के सेंसरों को रीसेट कर ठीक किया जाता है।

मो. यामीन, फोरमैन, रोडवेज डिपो

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