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सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से SEC ने बूस्टर डोज पर मागें आकड़ें , कहा बिना क्लीनिकल ट्रायल के बूस्टर डोज की अनुमति नहीं

केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के तहत आने वाली कोरोना संबंधी विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने बूस्टर डोज को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) से और आंकड़े देने को कहा है। एसईसी का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल के बिना बूस्टर डोज की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

सीरम ने अपनी वैक्सीन कोविशील्ड को बूस्टर डोज के रूप में लगाने की अनुमति मांगी है। सीरम ने इस आधार पर यह अनुमति मांगी है कि उसके पास वैक्सीन का पर्याप्त भंडार है और बूस्टर डोज की मांग भी की जा रही है। एसईसी की शुक्रवार को हुई बैठक में इस पर विचार किया गया है जिसके बाद कंपनी से और आंकड़े देने को कहा गया।

भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) के यहां जमा आवेदन में सीरम के सरकार और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने कहा कि कोविशील्ड की दोनों डोज लगवा चुके भारत और दूसरे देशों के लोग कंपनी से बूस्टर डोज की मांग कर रहे हैं। SII में गर्वंमेंट रेगुलेटरी अफेयर्स के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह (Prakash Kumar Singh) ने ब्रिटेन में बूस्टर को अनुमति दी जाने की बात कही। उन्होंने बताया कि UK की मेडिसीन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट रेगुलेटरी एजेंसी ने पहले ही एस्ट्राजेनेका ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन के बूस्टर डोज लगाने की अनुमति दे दी है।

 

DGCI के पास दिए गए आवेदन में सिंह ने कहा है, ‘हमारे देश की जनता व दूसरे देशों की जनता जिन्होंने कोविशील्ड की दोनों डोज लगवा ली है वे सब हमसे बूस्टर डोज की मांग कर रहे हैं। अनेकों विशेषज्ञों ने भी भारत में बूस्टर डोज की डिमांड की है विशेषकर कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की उत्पत्ति के बाद।’ हालांकि टीकाकरण पर काम करने वाले राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (National Technical Advisory Group on Immunization, NTAGI) ने भी भारत में बूस्टर डोज लगाने के मामले पर वर्चुअल मीटिंग की थी लेकिन इस मामले पर कोई नतीजा नहीं निकला। INSACOG(Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium) ने भी कहा है कि वे बूस्टर डोज लगाने का सुझाव कभी नहीं दिया है।

एक कंज्यूमर कंपनी के सीईओ ने कहा कि कई अमीर भारतीय विदेशों में कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने के लिए चार्टर फ्लाइट ले रहे हैं और परिवार को भी साथ ले जा रहे हैं। अमीर लोग ही नहीं बल्कि कुछ डॉक्टरों ने भी विदेशों में बूस्टर डोज लगाई है। इन डॉक्टरों की जनवरी-मार्च में कोरोना की वैक्सीन लगी थी। कोलकाता के मेडिका सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के चेयरमैन और फिक्की की हेल्थ सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन आलोक रॉय ने कहा कि सरकार को ऐसे लोगों को तुरंत बूस्टर डोज लगाने की अनुमति देनी चाहिए जिन्हें ज्यादा खतरा है। इनमें हेल्थकेयर वर्कर्स, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले लोग शामिल हैं।

 

वैक्सीन से 9 महीने तक शरीर में इम्युनिटी रह सकती है। त्रेहान ने कहा कि 6 महीने बाद इम्युनिटी कम हो जाती है। लेकिन इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि बूस्टर डोज से नुकसान होता है और इससे कितनी इम्युनिटी मिलती है। मुंबई की एक कंपनी के सीईओ ने कहा कि वह बूस्टर डोज लगाने के लिए अमेरिका गए थे। टेस्ट से पता चला कि उनके शरीर में एंटीबॉडीज की संख्या में कमी आई है। विदेशों में बूस्टर शॉट लेने वाले लोगों में अधिकांश ऐसे हैं जिन्हें मार्च-अप्रैल में वैक्सीन की दूसरी डोज लगी थी। टेस्ट में पाया गया कि उनके शरीर में एंटीबॉडीज की संख्या बहुत कम है।

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