उत्तराखंडराजनीति

जिला पौड़ी गढवाल के 6 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में जबरदस्त टक्कर, इन दो सीटो पर यूके़ड़ी को मिल सकती है बढत

पौड़ी: जिला पौड़ी गढवाल की 06 सीटों पर 47 प्रत्याशी मैदान में है। इनमें सर्वाधिक 11 प्रत्याशी कोटद्वार सीट पर तथा सबसे कम यमकेश्वर सीट पर 06 प्रत्याशी मैदान में है। इन 06 सीटों पर पिछले 2017 के चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। वर्तमान में इन सीटों पर इस समय सभी प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतर चुके हैं। भाजपा ने जहॉ अपनी तीन सीटों पर पूर्व 02 मंत्रियों और 01 विधायक को उतारा है जबकि 02 सीट पर चेहरा परिवर्तन किया है, वहीं एक सीट पर पूर्व विधायक को दूसरी जगह भेज दिया है। पौड़ी की 06 सीटों पर यदि समीक्षा की जाय तो इस समय की स्थिति टक्कर देते हुए दिखाई दे रहा है।

 श्रीनगर विधानसभा सीट:

श्रीनगर विधानसभा सीट पर इस समय 07 प्रत्याशी मैदान में है,। इस सीट पर तीन प्रमुख चेहरे मैदान में होने से इस समय त्रिकोणीय स्थिति बन चुकी है, इसमें जहॉ बीजेपी से कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत मैदान में हैं, वहीं कांग्रेस से प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और यूकेड़ी से मोहन काला इस समय मैदान में है। तीनों प्रत्याशी काफी मजबूत माने जा रहे हैं। यह सीट राजनीतिक दृष्टि से काफी हॉट बन चुकी है, क्योंकि एक तरफ काग्रेंस के प्रदेश अध्यक्ष हैं, वही भाजपा के कद्दावर नेता निवर्तमान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत मैदान में हैं। वहीं स्थानीय निवासी एवं व्यवसायी मोहन काला का प्रभाव क्षेत्र में काफी है, पिछली बार भी वह मोदी लहर में चौथान पट्टी से लेकर श्रीगनर क्षेत्र में आगे रहे थे। अतः श्रीनगर सीट इस समय बहुत हॉट बन चुकी है, और इस पर आने वाले परिणाम अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिल सकते हैं।

 पौड़ी सीटः

पौडी सीट आरक्षित सीट है, इस सीट पर वर्तमान में 08 उम्मीदवार मैदान में है, जिसमे बीजेपी से राजकुमार पोरी और काग्रेस से नवल किशोर को टिकट दिया गया है। बीजेपी ने यहॉ अपना प्रत्याशी बदला है, मुकेश कोली की जगह राजकुमार पोरी पर दॉव खेला है। स्थानीय रिपोर्टस के अनुसार मुकेश कोली मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं, वही इनकी पकड़ क्षेत्र में मजबूत मानी जा रही है। वहीं काग्रेंस के उम्मीदवार नवलकिशोर भी अपनी रणनीति बना रहे हैं, लेकिन राजकुमार पोरी की अपेक्षा कम मजबूत माने जा रहे हैं, इस बार इस सीट पर बीजेपी अपनी सीट बचाने में सफल हो सकती है, हालांकि श्रीनगर से जुड़ी यह सीट जहॉ से गणेश गोदियाल प्रदेश अध्यक्ष चुनाव लड रहे हैं कहीं ना कहीं इसका फायदा भी नवलकिशोर को मिल सकता है।

 चौबट्टाखाल सीट:

इस सीट पर 09 प्रत्याशी मैदान में हैं, जहॉ एक ओर बीजेपी से कद्दावर नेता सतपाल महाराज जो निवर्तमान कैबिनेट मंत्री हैं, इनके पास पिछले 05 सालों के कार्यों की उपलब्धि है जिसका रिपोर्ट कार्ड लेकर वह जनता के सामने जा रहे हैं, वहीं काग्रेंस से केशर सिंह नेगी के आने से बीजेपी के कैडर वोट प्रभावित होता दिखाई दे रहा है। केशर सिंह नेगी को जमीन से जुड़े प्रत्याशी माने जा रहे हैं। वही स्थानीय उम्मीदवार दिग्मोहन नेगी जो कि आप पार्टी के प्रत्याशी है, वह भी बीजेपी के वोटरों में सेंध मार सकते हैं, क्योंकि उनकी छवि क्षेत्र में काफी साफ सुथरी मानी जाती है, हालांकि आम आदमी पार्टी के होने के कारण उनके पक्ष में अपेक्षा से कम मतदान की संभावना बतायी जा रही है। ऐसे में यह सीट त्रिकोणीय मानी जा रही है, लेकिन बीजेपी इसमें अभी बढत बनाये हुये है।

 लैंसडाउन सीट:

लैंसडाउन सीट से 07 उम्मीदवार मैदान में हैं, यह सीट भी काफी महत्वपूर्ण हो चुकी है, क्योंकि एक तरफ पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाई और बीजेपी से निवर्तमान विधायक महंत दिलीप रावत मैंदान में है। हालांकि काग्रेंस से काग्रेंस से टिकट लेने के लिए काफी दावेदार थे लेकिन पार्टी हाईकमान ने अनुकृति गुंसाई को टिकट दिया, टिकट देने के बाद काग्रेंस समर्थकों में काफी नाराजगी देखने को मिली, जिसके बाद मान मनौव्वल करने से सभी असंतुष्ट दावेदारों को संतुष्ट कर दिया है। अब यहॉ सीधे टक्क्र बीजेपी बनाम काग्रेंस मे दिख रही है, हरक सिंह रावत के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा की बन चुकी है, वहीं दिलीप रावत के लिए यह सीट साख बचाने वाली स्थिति हो गयी है। इस सीट पर भी कॉटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है।

 कोटद्वार सीटः

इस समय कोटद्वार सीट से 11 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें सभी दलों के प्रत्याशी मैदान में चुनाव प्रचार करने लगे हैं। इस सीट पर जहॉ एक ओर पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी काग्रेंस से मैदान में है, वही बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री श्री बीसी खण्डूरी की पुत्री, भाजपा महिला अध्यक्ष और निवर्तमान यमकेश्वर विधायक ़ऋतु खण्डूरी मैदान में है। वहीं बीजेपी से टिकट नहीं मिलने से कद्दावर नेता एवं पूर्व सैनिक धीरेन्द्र चौहान मैदान में है। एक ओर धीरेन्द्र चौहान बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर काग्रेंस के काफी प्रतिशत वोटों पर सेंध मारते दिखाई दे रहे हैं, बीजेपी ने उन्हें मनाने के सभी प्रयास किये किंतु वह नहीं माने और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में आ गये है। इस बार यह सीट भी त्रिकोणीय बन गयी है, हालांकि आप पार्टी, सपा बसपा यूकेडी से सभी दावेदार मैदान में है, लेकिन असली जंग त्रिकोणीय होती दिखाई दे रही है। काग्रेंस के सुरेन्द्र सिंह नेगी के गढ मे बीजेपी ने अपनी प्रदेश महिला अध्यक्ष को उतारा है, लेकिन ऋतु खण्डूरी के लिए यहॉ राह आसान नहीं है। यहॉ पर कोटद्वार नगर, भाबर क्षेत्र और कालागढ क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जहॉ कोटद्वार में मिश्रित मतदाता है, वहीं भाबर क्षेत्र में पहाड़ी मूल का मतदाता है, वहीं कालागढ में 03 हजार वोटर भी समिश्रण वाला है। इस सीट पर भी 10 मार्च को अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिल सकते है।

 यमकेश्वर सीट:

यमकेश्वर विधानसभा सीट से वर्तमान में 05 उम्मीदवार मैदान में है, जहॉ बीजेपी से रेनू बिष्ट और काग्रेंस से पूर्व विधायक शैलेन्द्र रावत है, वहीं यूकेडी से शांति प्रसाद भट्ट और आम आदमी पार्टी से अविरल बिष्ट मैदान में है, जबकि समाजवादी पाटी्र से वीरेन्द्र प्रसाद मैदान मे है। बीजेपी का अभेद्य गढ माने जाने वाली यह सीट इस बार हिचकोले खाते हुए नजर आ रही है, इस बार बीजेपी अंदर ही अंदर काफी असहज महसूस कर रही है, वहीं कांग्रेंस के प्रत्याशी शैलेन्द्र रावत अभी काफी आत्म विश्वास से भरे दिखाई दे रहे हैं, पिछले पॉच सालों में हारने के बावजूद भी वह मतदाताओं के बीच में रहे जिसका लाभ उनको मिलता दिखाई दे रहा है। वहीं रेनू बिष्ट के पास सिर्फ स्थानीय का फायदा मिल सकता है, बाकि केन्द्र की उपलब्धि के सिवाय उनके पास गिनाने के लिए कुछ नही है। हालांकि बीजेपी संगठनात्मक तौर पर मजबूत पाटी्र है, लेकिन इस बार बीजेपी का मतदाता भी अभी संशय में है। लेकिन वहीं यूकेड़ी इस बार अपना मत प्रतिशत बढाती हुई नजर आ रही है, बीजेपी खेमें से नाराज मतदाता उनके पक्ष में मतदान का निर्णय ले सकते हैं। वहीं अभी तक के रूझानों में शैलेन्द्र रावत आगे दिखाई दे रहे हैं, इससे बीजेपी के गढ में सेंध मारने में काफी कुछ सफल हो चुके हैं, हालांकि अभी चुनाव प्रचार के अतिंम समय में पलड़ा कहीं भी भारी हो सकता है, ऐसे में रेनू बिष्ट भी नाराज मतदाताओं को मनाने का प्रयास अवश्य करेगी।

यमकेश्वर का चुनाव इस समय पार्टी से ज्यादा चेहरे पर टिक गया है, क्योंकि जो वर्तमान में बीजेपी का प्रत्याशी है, वह मूलतः काग्रेंसी विचाराधारा कै हैं और जो वर्तमान में काग्रेंस का प्रत्याशी है, वह मूलतः भाजपा कैडर का पूर्व विधायक एवं संघ विचारधारा का व्यक्ति है। वहीं शांति प्रसाद भट्ट को भी इस बार काग्रेंस ही बीजेपी है, और बीजेपी ही कागें्रस है का फायदा मिल सकता है। अतः यह सीट भी मतदाता इस बार काफी अप्रत्याशित फैसला दे सकता है, यमकेश्वर में परिवर्तन की मॉग स्थानीय मतदाता कर रहा है, क्योंकि 20 सालों में यमकेश्वर में बीजेपी सत्ता में रही और वह मतदाताओं के समस्याओं का समाधान करने में उतनी सफल नहीं हो पायी जितनी उम्मीद डबल इंजन की सरकार से जनता को थी। हालांकि ऋतु खण्डूरी ने सड़क निर्माण एवं स्वास्थ्य स्कूलों में फर्नीचर आदि की व्यवस्था के लिए कार्य तो किया लेकिन वह उपलब्धि वर्तमान में नगण्य हो चुकी है। अब देखना यह होगा कि यमकेश्वर का मतदाता स्थानीय मुद्दो पर मतदान करता है या फिर केन्द्रीय मुद्दे ही इस बार चुनाव में मुख्य होगें। अभी इस सीट पर समीकरण काफी बनते बिगडते देखने को मिल सकते है।

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