उत्तराखंड

उत्तराखंड की मानसखंड झांकी को देश में पहला स्थान, सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने किया पुरस्कार ग्रहण

देहरादून: गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में कर्तव्य पथ पर हुई परेड में उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को प्रथम स्थान के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में पुरस्कृत किया गया। केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने यह पुरस्कार प्रदान किया। राज्य की ओर से सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने पुरस्कार प्राप्त किया। इस मौके पर संयुक्त निदेशक केएस चौहान भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की झांकी को देश में पहला स्थान मिलने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि देश, विदेश के लोग मानसखंड के साथ ही उत्तराखंड की लोक संस्कृति से भी परिचित होंगे। मुख्यमंत्री ने झांकी को पुरस्कार के लिए चुने जाने पर प्रदेशवासियों, सूचना विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों, झांकी बनाने वालों एवं इसमें शामिल सभी कलाकारों को बधाई दी।

सूचना महानिदेशक ने कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन के बाद मानसखंड पर आधारित झांकी प्रस्तावित की गई थी। श्री केदारनाथ एवं श्री बदरीनाथ की तर्ज पर कुमाऊं के पौराणिक मंदिरों के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना पर काम किया जा रहा है। इससे इन प्रमुख मंदिरों का विकास होना है। मुख्यमंत्री धामी के विजन के अनुसार पहले चरण में करीब दो दर्जन से अधिक मंदिरों को इसमें शामिल किया गया है।

इनमें जागेश्वर महादेव, चितई गोलज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर, नंदादेवी मंदिर कसारदेवी मंदिर, झांकर सैम मंदिर पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर, मोस्टमाणु मंदिर, बेरीनाग मंदिर, मलेनाथ मंदिर, थालकेदार मंदिर, बागनाथ महादेव, बैजनाथ मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर, पाताल रुद्रेश्वर गुफा, गोल्ज्यू मंदिर, निकट गोरलचैड मैदान, पूर्णागिरी मंदिर, वारही देवी मंदिर देवीधुरा, रीठा मीठा साहिब, नैनादेवी मंदिर, गर्जियादेवी मंदिर, कैंचीधाम, चैती (बाल सुंदरी) मंदिर, अटरिया देवी मंदिर व नानकमत्ता साहिब प्रमुख रूप से शामिल किए गए हैं।

18 कलाकारों ने झांकी में दी अपनी प्रस्तुति

कर्तव्य पथ पर उत्तराखंड राज्य की ओर से मानसखंड की झांकी में 18 कलाकारों के दल ने अपनी प्रस्तुति दी। झांकी का थीम सांग ‘जय हो कुमाऊं, जय हो गढ़वाला’ को पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध जनकवि जनार्दन उप्रेती ने लिखा था। सौरभ मैठाणी और साथियों ने इसे सुर दिया था। इस थीम गीत के निर्माता पहाड़ी दगड़िया, देहरादून थे।

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