डॉक्टरों के अनुसार- देर रात तक मोबाइल देखने की लत छीन सकती है आंखों की रोशनी
भोपाल: गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं। इस दौरान आपका बच्चा लगातार मोबाइल का उपयोग करता है, तो सतर्क हो जाइये। इससे बच्चों की आंखों की रोशनी आंशिक रूप से या स्थायी रूप से जा सकती है। देर रात तक मोबाइल पर रील्स देखने केक शौक से आंखेों में सूखेपन (आई ड्रायनेस) की समस्या बढ़ रही है।
बच्चों में मोबाइल जिवन सिंड्रोम की समस्या भी मिल रही है। हमीदिया और जेपी अस्पताल के नेत्र रोग ओपीडी में आने वाले मरीजों में अनिंद्रा, सिर दर्द, माइग्रेन जैसी समस्या के साथ आने वाले 20 फीसदी मरीजों ने माना कि देर रात तक रील्स देखते हैं। जेपी अस्पताल के पूर्व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. केके अग्रवाल बताते हैं कि बच्चों में देर रात तक मोबाइल देखने की लत आंखों की रोशनी छीन सकती है।
इससे सिर से लेकर रीड़ की हड्डी तक में र्द की समस्या बन सकती है। इसे मेडिकल की भाषा में कंप्यूटर/मोबाइल विजन सिंड्रोम (सीवीएस) कहते हैं। ओपीडी में आने वाले 14 से 30 साल तक के 67.5 फीसदी बच्चे और युवा जिनका स्क्रीन टाइम तीन घंटे से अधिक है, उनमें सीवीएस के लक्षण देखे गए हैं। इसका खुलासा गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के नेत्र रोग विभाग के एक शोध में हुआ है।