70 साल बाद कूनो नेशनल पार्क में सुनाई देगी अफ्रीकी चीतों की दहाड़
मध्यप्रदेश:- चंबल अंचल का आदिवासी बाहुल्य जिला श्योपुर इन दिनों सुर्खियों में हैं। कुपोषण के लिए बदनाम श्योपुर जल्द ही विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाने वाला है। देश में करीब 70 साल बाद श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी चीतों की दहाड़ सुनाई देगी। मध्यप्रदेश सरकार प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर उन्हें ये सौगात देने वाली है। चीतों के स्वागत के लिए खुद पीएम मोदी 17 सितंबर को श्योपुर पहुंचेंगे और कूनो में चीतों को छोड़ेंगे।
श्योपुर आने वाले पहले पीएम होंगे मोदी
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश के कई जिलों का दौरा कर चुके हैं। लेकिन आजादी के बाद प्रदेश के श्योपुर आने वाले वह पहले पीएम होंगे। जहां देश में लोग चीतों के आने की खबर से उत्साहित हैं तो वहीं श्योपुर के रहवासी पीएम मोदी के पहली बार जिले के दौरे पर आने को लेकर खुश हैं। जिलेवासियों का कहना है कि यह पूरे जिले के लिए गर्व का क्षण है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार यहां आ रहे हैं और अपने साथ ऐसी सौगात ला रहे हैं, जिससे पूरे जिले की पहचान विश्व पटल पर स्थापित होगी।
70 साल बाद मध्यप्रदेश में नजर आएंगे चीते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन 17 सितंबर पर श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में चीतों के प्रोजेक्ट का शुभारंभ करेंगे और करीब तीन चीते बाड़े में छोड़ेंगे। प्रदेश में अफ्रीका से आठ चीते आ रहे हैं, जो कि फ्लाइट से राजस्थान के बाद सीधे मध्यप्रदेश पहुंचेंगे। कार्यक्रम को लेकर कूनो अभ्यारण्य में तैयारियां अंतिम दौर में जारी हैं। खुद सीएम ने अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए हैं।
कुपोषित जिले के तौर पर होती है पहचान
श्योपुर, मध्यप्रदेश के चंबल इलाके का सीमावर्ती जिला है। यहां से राजस्थान की सीमा लगती है। ये जिला प्रदेश का आदिवासी बाहुल्य और पिछड़ा इलाका माना जाता है। श्योपुर की पहचान कुपोषित जिले के तौर पर होती है। जिले में हर साल कुपोषण से बच्चों की मौत हो जाती है। प्रशासन और सरकार लगातार यहां कुपोषण को रोकने के लिए प्रयास कर रहा है लेकिन हालत जस की तस बनी है।
पीएम के आने से होगा विकास
श्योपुर के रहवासी बेसब्री से पीएम मोदी के आने का इंतजार कर रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि पीएम के आने के बाद जिले की तस्वीर बदलेगी। वर्तमान में श्योपुर में कोई भी बड़ा उद्योग और रोजगार के साधन नहीं हैं, जिसके चलते लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्य और अन्य जिलों में भटकते रहते हैं। वहीं, युवाओं के लिए रोजगार के साधन भी उपलब्ध नहीं हैं। जिसके चलते जिला अन्य जिलों से पिछड़ा है। यही कारण है कि यह जिला मध्यप्रदेश के पिछड़े जिलों में शामिल है। अभ्यारण्य से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित टिकटोली गांव में की 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला राम बटोही कहती हैं कि उन्होंने अपनी आंखों से अब तक देश के किसी प्रधानमंत्री को नहीं देखा, उम्मीद है कि अब पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी यहां आ रहे हैं। वह काफी खुश नजर आ रही हैं साथ ही उम्मीद है कि जिले में रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे।