हेल्थ

सीपीआर हो सकती है हार्ट अटैक जैसी पस्थितियों में जीवनरक्षक, जानिए सीपीआर की प्रक्रिया

पिछले दो साल के रिकॉर्ड्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि कोरोना महामारी के बाद से वैश्विक स्तर पर हृदय रोगों, विशेषतौर हार्ट अटैक के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। 40 से कम आयु के कई लोग, अभिनेताओं की मौत हार्ट अटैक के कारण हुई है। डॉक्टर कहते हैं, हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों के लिए लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी को प्रमुख कारण माना जाता रहा है, सभी लोगों को हृदय स्वास्थ्य के जोखिम कारकों से बचाव के लिए निरंतर प्रयास करते रहने की आवश्यकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, भारत में हार्ट अटैक के शिकार लगभग 28 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है, हालांकि अगर समय रहते कुछ सावधानियां बरती जाएं तो रोगी की जान बचाई जा सकती है। सीपीआर ऐसी ही एक जान बचाने वाली प्रक्रिया मानी जाती है, जिसको अगर हार्ट अटैक के बाद समय रहते प्रयोग में लाया जाए तो मृत्यु के खतरे को कम किया जा सकता है।

आइए जानते हैं कि ये सीपीआर क्या है और हार्ट अटैक की स्थिति में इसके क्या लाभ हो सकते हैं?
  • क्या है सीपीआर?

कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक जीवनरक्षक तकनीक है जो हार्ट अटैक जैसी आपात स्थितियों में जीवनरक्षक साबित हो सकती है। सांस या दिल की धड़कन रुक जाने की स्थिति में अगर समय रहते रोगी को सीपीआर दे दिया जाए तो मौत के खतरे को कम किया जा सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विशेषज्ञ कहते हैं, हार्ट अटैक की स्थिति में छाती को सही गति से दबाने की यह प्रक्रिया रक्त के संचार को ठीक रखने में मददगार हो सकती है। आइए जानते हैं कि सीपीआर कितनी लाभकारी है और इसे कैसे प्रयोग में लाया जाना चाहिए?

  • कैसे दिया जाता है सीपीआर?

हार्ट अटैक की स्थिति में सीपीआर देने से सीपीआर देकर शरीर के हिस्सों में रक्त के संचार के ठीक बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसमें 100-120/मिनट की दर से छाती को दबाया जाता है। इसके लिए दोनों हाथों को इस प्रकार से जोड़ें जिससे हथेली का निचला हिस्सा छाती पर आए। इसे हथेली को छाती के केंद्र के निचले आधे हिस्से पर रखकर दबाएं। छाती को 5 सेमी तक संकुचित करें। बहुत तेज दबाव भी न डालें। इस विधि शरीर के अंगों को ऑक्सीजन युक्त रक्त मिलता है और ऑर्गन फेलियर के खतरे को कम किया जा सकता है।

  • क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?

सीपीआर एक जीवनरक्षक प्राथमिक चिकित्सा प्रक्रिया है। हालांकि यह हार्ट अटैक जैसी स्थितियों में जल्द से जल्द दिया जाना चाहिए। यहां ध्यान रखना जरूरी कि रोगी शिशु है बच्चा है या वयस्क, इसके आधार पर चरण अलग-अलग होते हैं। छाती को दबाने के साथ सांसों पर भी ध्यान देते रहना चाहिए। सीपीआर का उपयोग केवल तभी करें जब रोगी ने सांस लेना बंद कर दिया हो। सीपीआर शुरू करने से पहले व्यक्ति की जांच करें कि वे प्रतिक्रिया कर रहे हैं या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *