उत्तराखंड

आपदा की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की समीक्षा

  • आपदा क्षेत्र में पहुंचकर स्वयं रेस्क्यू का नेतृत्व करें डीएम
  • एसडीआरएफ के मानकों के तहत कराये जाए क्षति के निर्माण कार्य

खटीमा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार की सांय कुमाऊं मंडल के जनपदों के आपदा में हुए नुकसान के दृष्टिगत जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की। उन्होंने जिलाधिकारियों को आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में मौके पर पहुंचकर नेतृत्व करते हुए रेस्क्यू टीम का मनोबल बढ़ाने तथा प्रभावित लोगों की हर संभव मदद करते हुए ढांढस बधाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने जनपदों में आपदा की स्थिति तथा राहत एवं बचाव कार्यों की जनपदवार समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से नदियों के जलस्तर, लैंडस्लाइड, बन्द सड़कों, जानमाल की क्षति मुआवजा वितरण आदि की गहनता से समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि राजमार्गों के साथ ग्रामीण सड़कों को खोलने की सुचारू व्यवस्था के साथ आवश्यक उपकरणों की प्रभावित स्थलों पर व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा राहत एवं बचाव कार्यों में सभी विभाग टीम भावना एवं सकारात्मक ऊर्जा के साथ कार्य करें तथा इसे अपनी जिम्मेदारी समझे। यह समय पीडितों के साथ खडे होने का है।

उन्होंने वर्तमान हालातों पर गंभीरता से कार्य करने के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि यदि कहीं सड़क क्षतिग्रस्त या भूस्खलन होने के तथ्यहीन जानकारी सोशल मीडिया में आती है तो संबंधित विभागों को उनका खंडन भी करना चाहिए जिससे कि लोगों में भ्रामकता की स्थिति ना हो। इसके अलावा आपदा ग्रस्त क्षेत्रों पर अधिकारी तत्काल मौके पर जाएं स्वयं जिलाधिकारी मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू अभियान का नेतृत्व संभाले और लोगों को हर संभव मदद करते हुए प्रभावित लोगों को ढांढस बधाने का काम भी करें। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आपदा की स्थिति में बचाव कार्य और भी तेजी से हो इसके लिए लाइफ़सेविंग उपकरण सहित अत्याधुनिक उपकरण संबंधित विभागों को उपलब्ध कराए जाएं जिससे कि जिले की आपदा रेस्क्यू टीमें आधुनिक उपकरणों के साथ जान माल के नुकसान में तत्काल मदद पहुंचाने के लिए तेजी से कार्य कर सकें।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से जलभराव वाले क्षेत्रों या नालों और नदियों के ड्रेनेज प्लान बनाने के निर्देश भी दिए जिससे कि भविष्य में नदियों के किनारे बसी आबादियों या शहरी क्षेत्र में जलभराव की स्थिति ना हो। मुख्यमंत्री घोषणा के तहत विकास कार्यों के टेंडर की औपचारिकताएं पूरी कर 15 अगस्त तक कार्य शुरू करें। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा के दृष्टिगत जानमाल के नुकसान के आकलन के साथ ही कृषि एवं उद्यान क्षेत्र में हुए नुकसान का भी आकलन किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों की आर्थिकी खेती और उद्यान क्षेत्र से ही चलती है। ऐसे में आपदा से खेती व बागवानी को हुए नुकसान का आकलन करते हुए अनुमन्य मदद तत्काल पहुंचाई जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूरस्थ जिले पिथौरागढ़ में आपदा में रेस्क्यू के लिए सरकार द्वारा हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराया गया है अब तक धारचूला क्षेत्र में 48 लोग हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू भी किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस आपदा की घड़ी में पूरी तत्परता के साथ प्रभावितों की मदद और रेस्क्यू का कार्य गंभीरता के साथ कर रही है। आगे इसमें और भी तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।

इस दौरान मंडलायुक्त दीपक रावत ने बताया कि अब तक आपदा से कुमाऊं मंडल के सभी जनपदों में विभिन्न विभागों के 1252 परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हुई है। 7506.97 लाख के नुकसान का आकलन किया गया है जिसके सापेक्ष एसडीआरएफ से प्राप्त धनराशि 493.17 लाख है जबकि 10.04 लाख व्यय की गई है। वीसी में आईजी नीलेश आनंद भरणे, सीडीओ विशाल मिश्रा सहित कुमाऊँ मण्डल के समस्त जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अपने जनपदों में वीसी से जुड़े थे।

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