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हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट (Himalayan Hospital Jolly Grant) में मरीजों की फेफड़ों की जांच के लिए ब्रांकोस्कॉपी (bronchoscopy) अब अत्याधुनिक एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (Endo bronchial ultrasound) तकनीक से की जा रही है

डोईवाला: हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट (Himalayan Hospital Jolly Grant) में मरीजों की फेफड़ों की जांच के लिए ब्रांकोस्कॉपी (bronchoscopy) अब अत्याधुनिक एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (Endo bronchial ultrasound) तकनीक से की जा रही है। इससे मरीजों की संबंधित जांच की रिपोर्ट अब और स्पष्ट हो आती है, जिससे उपचार में सहायक होगी।

छाती एवं श्वास रोग (chest and respiratory diseases) विभागाध्यक्ष डॉ.राखी खंडूरी ने बताया कि हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (EBUS) तकनीक से ब्रोंकोस्कॉपी स्वास्थ्य सेवी की शुरुआत हो गई है। एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (EBUS) तकनीक के विशेषज्ञ डॉ.सुशांत खंडूरी ने बताया कि फेफड़ों के बीच के हिस्से (मीडियास्टीनम) में गांठों की समस्या, टीबी के अलावा कई बार कैंसर आदि के कारण भी हो सकती है। ऐसे में स्थिति स्पष्ट करने के लिए इस स्थान से सैंपल लेकर बायोप्सी की जाती है। बेहद नाजुक इस हिस्से में भोजन नली, हृदय व विभिन्न ग्रंथियां होने के कारण अब तक सैंपल लेने के लिए मरीज का ऑपरेशन करना पड़ता था। लेकिन एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (ईबस) Endo bronchial ultrasound (EBUS) तकनीक बिना ऑपरेशन सैंपल लेने में कारगर है। कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि रोगियों को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं देने को हम प्रतिबद्ध हैं, इसी कड़ी में स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार इफाजा किया जा है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसएल जेठानी ने विभाग को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

ऐसे काम करती है तकनीक

डॉ.वरुणा जेठानी ने बताया कि मरीज को लोकल एनेस्थीसिया (local anesthesia) देने के बाद एक विशेष प्रकार के टेलिस्कोप को उसके मुंह के जरिए श्वास नलियों (breathing tubes) तक पहुंचाया जाता है और उस हिस्से की सोनोग्राफी (sonography) की जाती है। गांठ की स्थिति दिखने पर सुई से सैंपल लेते हैं। जांच में करीब एक घंटे का समय लगता है जिसके बाद मरीज को करीब दो घटों तक डॉक्टरी देखरेख में रखा जाता है।

कैंसर की स्टेज पता लगाने में कारगर

डॉ.मनोज ने बताया कि ब्राकोस्कॉपी कैंसर (bronchoscopy cancer) की स्टेज का पता लगाने में भी कारगर है। इसके अलावा टीबी (TB), फेफड़ों व आसपास की विभिन्न ग्रंथियों (glands) में सूजन की समस्या का भी पता लगाया जाता है। हालांकि यह जांच सुरक्षित है।

करीब 6000 से ज्यादा ब्रोंकोस्कॉपी(bronchoscopy) का रिकॉर्ड

विभागाध्यक्ष डॉ.राखी खंडूरी ने बताया कि हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में अब तक करीब 6000 से ज्यादा ब्रोंकोस्कॉपी सफलतापूर्वक की जा चुकी हैं। बीते एक माह में ही 100 से ज्यादा ब्रांकोस्कॉपी की गई।

क्या होती है ब्रांकोस्कॉपी (bronchoscopy)?

ब्रोंकोस्कोपी में नाक या मुंह के जरिए, एक ब्रोंकोस्कोप (bronchoscopy) नली, जिसमें एक हल्का और अति सूक्ष्म कैमरा लगा होता है, डाली जाती है। ब्रोंकोस्कोपी का प्रयोग फेफड़ों की समस्या का पता लगाने के लिए किया जाता है। ब्रोंकोस्कोपी ट्यूमर्स, इंफेकशन, फेफड़ों में अवरोध का पता लगा सकती है।

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