नवरात्रि चतुर्थी दिन – कुष्मांडा देवी
चतुर्थी (चौथे दिन) को देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। देवी कुष्मांडा को ब्रह्मांड की रचनात्मक शक्ति माना जाता है, कुष्मांडा पृथ्वी पर वनस्पति के बंदोबस्ती से जुड़ा है, और इसलिए, दिन का रंग लाल है। उसे आठ भुजाओं वाली और एक बाघ पर विराजमान के रूप में दर्शाया गया है।
पूजा विधि: कलश की पूजा कर मां के स्वरूप का ध्यान करें। बेहतर होगा कि इनकी पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करें। मां कूष्मांडा को जल पुष्प अर्पित करते हुए अपने और अपने परिवार वालों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें। देवी को धूप दिखाकर फूल, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे चढ़ाएं और भोग लगाएं। माता कूष्माण्डा को फल का भी भोग लगाएं। इसके अलावा देवी को मालपुए, हलवा और दही का भोग लगाएं। पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें और इस मंत्र, “सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे” का जाप अवश्य करें। पूजा के बाद प्रसाद को सभी में वितरित कर दें।