उत्तराखंडक्राइम

रिश्वत लेने के मामले में सिपाही को पांच साल की सजा और जुर्माना

हरिद्वार:– शिकायतकर्ता श्री वरुण अग्रवाल पुत्र स्व० श्री चमनलाल हाल गायत्री बिहार जनपद हरिद्वार ने दिनांक 01.03.2008 को एक शिकायती प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक, सतर्कता सेक्टर देहरादून को इस आशय का दिया कि वह ट्रैक्टर से जनपद हरिद्वार में रेत बजरी व ईट की सप्लाई का काम करता है। इसके अलावा कभी-कभी ग्राहक की मांग पर सीमेन्ट की सप्लाई का काम करते है। पिछले कुछ दिनों से उत्तराखण्ड पुलिस में एस.टी.एफ. देहरादून में नियुक्त कान्स. 410, नागेशपाल द्वारा उससे यह कहकर रू. 10,000/- रिश्वत की मांग की जा रही है कि यदि रिश्वत नहीं दी तो मिलावटी सीमेंट तथा अवैध रेत, बजरी सप्लाई करने के लिए उसे बंद करा देगा। वह सीमेन्ट मे मिलावट या अन्य कोई गलत काम नहीं करता है, फिर भी धन्धे की मजबूरी समझ कर कान्स) नागेशपाल के दवाब से परेशान होकर उसके कहे अनुसार रू. 10000/- रिश्वत में देने की बात मान ली है। वह रिश्वत नहीं देना चाहता था, बल्कि ऐसे भ्रष्ट कर्मचारी को रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था।

शिकायतकर्ता की उपरोक्त शिकायत पर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करते हुए सतर्कता अधिष्ठान, सेक्टर देहरादून की ट्रैप टीम द्वारा दो स्वतंत्र साक्षीगण की उपस्थिति में दिनांक 04.03.2008 को अभियुक्त कान्स(0) नागेशपाल एस टी (एफ) को शिकायतकर्ता से रू0 10,000/- रिश्वत लेते हुए हरिद्वार में सप्तसरोवर रोड वैष्णव देवी मन्दिर के सामने से रंगे हाथों गिरफ्तार कर थाना सतर्कता अधिष्ठान, सेक्टर देहरादून में मु0अ0सं0-02/2008 धारा-7/13 (1) डी सपठित धारा-13 (2) भ्र(0नि0अधिनियम 1988 धारा 207 एम0बी0एक्ट के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया है

विवेचना की कार्यवाही पूर्ण कर नियमानुसार आरोप पत्र दिनांक 16.12.2008 को विशेष न्यायालय भष्टाचार निवारण अधिनियम देहरादून में दाखिल किया गया। न्यायालय में सतर्कता अधिष्ठान के अभियोजन अधिकारी अनुज साहनी एवं पैरोकार द्वारा की गयी कुशल पैरवी पर सुश्री अंजली नौलियाल ए0डी0जे0-7, विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम देहरादून द्वारा दिनांक 22.08.2023 को दिये गये निर्णय में धारा-7 के आरोप में 03 साल का सश्रम कारावास व 50 हजार का अर्थदण्ड से दण्डित किया गया अर्थदण्ड अदा न करने पर एक माह का अतिरक्त साधारण कारावास तथा धारा 13 (1) डी सपठित धारा-13 (2) भ्र0नि0अधिनियम 1988 में 05 साल का सश्रम कारावास व 20 हजार का अर्थदण्ड से दण्डित किया गया अर्थदण्ड अदा न करने पर दोषसिद्धि एक माह का अतिरक्त साधारण कारावास से दण्डित किया गया।

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