रुद्रप्रयाग की पिंकी के लिए देवदूत बने सर्जन डॉ लोकेश सलूजा और रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर रचित गर्ग, जानिए क्या है पूरा मामला
श्रीनगर गढ़वाल: भगवान गणेश की सूंड की तरह गले में स्टेथॉस्कोप लटकाए हुए इंसानों को नई जिंदगी देने वाले डॉक्टर्स ही पृथ्वी पर भगवान के जीते-जागते उदाहरण है। अगर पृथ्वी पर किसी ने भगवान को देखा है तो वो सिर्फ सफेद कोट पहने दिन-रात काम करने वाले डॉक्टर्स ही हो सकते हैं। कोरोना काल में भी लोगों ने देखा कि डॉक्टर्स एक भगवान के रूप में हॉस्पिटल, क्लिनिक रूपी मंदिर में लोगों की सेवा करते रहे। उनकी दवाइयां अर्जुन के गांडिव से निकले तीर के समान थीं तो उनके हाथ कृष्ण की तरह लोगों की रक्षा कर रहे थे। जिस तरह आज हर रोग के लिए डॉक्टर्स हैं, वैसे ही पहले भी डॉक्टर्स की भूमिका थी। चाहे राजा दशरथ का दरबार हो या फिर किसी और राजा का, हर दरबार में राजवैद्य होते थे, जो महान महापुरुषों का इलाज करते थे। पूरा भारतवर्ष इन्हें आज से नहीं बल्कि हजारों सालों से पूजता आ रहा है। अगर बात करें धन्वन्तरि की तो वो चिकित्सक ही थे, लेकिन उन्हें दर्जा देवता का मिला। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, धन्वंतरि को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। तो भारतवर्ष आज से ही नहीं, बल्कि हमेशा से डॉक्टर्स को भगवान मान रहा है। अगर धरती पर डॉक्टर नहीं होते तो रोगियों का इलाज संभव नहीं था और मानव जीवन संकट में पड़ जाती।
पिंकी के लिए भगवान का रूप बने डॉ सलूजा और डॉ गर्ग
आज बात जिला चिकित्सालय श्रीनगर गढ़वाल के ऐसे ही दो डॉक्टरों सर्जन डॉ लोकेश सलूजा (Dr. Lokesh Saluja) और रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर रचित गर्ग (Radiologist Dr Rachit Garg) जो लंबे समय से बीमारी से परेशान रूद्रप्रयाग की पिंकी के लिए देवदूत साबित हुए। जिला चिकित्सालय श्रीनगर में आज एक मरीज जिसका नाम पिंकी उम्र 38 साल रुद्रप्रयाग निवासी जो कि कुछ महीनों से पेशाब करने में हो रही समस्या और बच्चेदानी के रास्ते अत्यधिक खून के रिसाव से परेशान थी। बहुत दिनों से परेशान पिंकी उपजिला चिकित्सालय श्रीनगर में तैनात सर्जन डॉ लोकेश सलूजा के पास पहुंची और अपनी पूरी समस्या उन्हें विस्तार से बताई। डॉ लोकेश सलूजा ने मरीज का चैकअप कर उन्हें अल्ट्रासाउंड करने की सलाह दी।
रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर रचित गर्ग के द्वारा गहनता के साथ अल्ट्रासाउंड किया गया। जिसमें मरीज पिंकी की बच्चेदानी के अंदर एक बड़ी गांठ पाई गई। जिसका साइज लगभग 15 से 17 सेंटीमीटर नापा गया। उसके पश्चात डॉ लोकेश सलूजा मरीज के लिए देवदूत बनकर आगे आए। डॉ सलूजा ने मरीज की सारी परेशानियों को देखते हुए उसको तुरंत ऑपरेशन करने की सलाह दी। जिसके बाद मरीज ने 3 सितंबर को अपना बच्चेदानी का ऑपरेशन कराया। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर निशा एनेस्थेटिक डॉ मारिषा पंवार, नर्सिंग ऑफिसर शीतल देव सिंह, आदि मौजूद रहे ।
सर्जन डॉ लोकेश सलूजा ने बताया कि ऑपरेशन के बाद मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ है। डॉक्टर सलूजा ने बताया की डॉक्टरी के उनके 25 साल के अनुभव में ऐसे केस बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। हमारा पूरा प्रयास रहता है कि जो भी मरीज अस्पताल आये उसकी बीमारी का सम्मपूर्ण निदान हो।
वहीं रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर रचित गर्ग के अनुसार बच्चेदानी की गांठ पेशाब की थैली की ओर थी और लगभग 5 महीने की प्रेगनेंसी के लगभग प्रतीत हो रही थी। मरीज अब स्वस्थ्य है। उन्होंने कहा कि मरीजों को अपनी बीमारी डॉक्टरों को बतानी चाहिए ताकि उनकी बीमारी का बेहत्तर इलाज किया जा सके।