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ऑल वेदर रोड पर पड़ा सबसे अधिक प्रभाव निर्माण गुणवत्ता को लेकर हो रहे हैं सवाल खड़े

देहरादून:- उत्तराखंड में मानसून की बारिश के साथ ही उत्तराखंड में हालात बेहद तेजी से बिगड़ने लगे हैं। पूरे उत्तराखंड को अलर्ट पर रखा गया है और राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों एवं अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। सर्वाधिक प्रभाव चार धाम मार्गों पर देखने को मिला है जहां जगह-जगह पर राजमार्ग पर पहाड़ों से गिरे पत्थर एवं मलबे के कारण मार्ग अवरुद्ध हो चुका है। तमाम जगहों पर स्थानीय पुलिस एवं एसडीआरएफ यात्रियों की सुरक्षा में लगी है तो वहीं यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं प्राकृतिक आपदाओं के बीच वाहन दुर्घटनाओं का सिलसिला भी जारी है जिससे राहत दलों के आगे दोहरी मुसीबतें पेश आ रही हैं।

भारी बारिश से होने वाले प्रभाव को देखते हुए राज्य सरकार पहले ही एडवाइजरी जारी कर चुकी है और यात्रियों से कहा गया है कि वे फिलहाल मानसून तक चार धाम की यात्रा से परहेज करें हालांकि यात्रा को प्रतिबंधित नहीं किया गया है और अभी भी श्रद्धालुओं का चार धाम में आना जाना लगा हुआ है। यहां यह जरूरी है कि श्रद्धालुओं को राज्य सरकार की नसीहत पर अमल करना चाहिए एवं फिलहाल मानसून जारी रहने तक चार धाम यात्रा से बचना चाहिए।

उधर पहाड़ी मार्गों पर जगह-जगह हो रहे भूस्खलन के कारण ना केवल आवागमन का संकट गहरा गया है बल्कि कई गांव भी जनसंपर्क से काट चुके हैं। राहत दल जान हथेली पर रखकर बलवा हटाने से लेकर यातायात को सुचारू रूप से चलाने की कोशिश कर रहे हैं। इस मानसून में ऑल वेदर रोड पर योजना की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्र सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना में बदरीनाथ हाईवे पर सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिला है।

मानसून की बारिश में करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए कुछ निर्माण धराशाई हो गए जबकि सड़कों की दशा भी टूटे आईने की तरह खंडित होकर सामने आ गई है। किस प्रकार के दोयम गुणवत्ता से काम करने के बाद ऑल वेदर रोड का क्या अंजाम होगा यह आसानी से समझा जा सकता है। मानसून की बारिश निर्माण एजेंसियों की करतूतों की पोल खोल रही है, अन्यथा गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य को उच्च दर्जे की उपलब्धियां बता कर बखान करने से भी कोई पीछे नहीं हटता।

अगले कुछ और दिन मौसम विभाग की ओर से अलर्ट जारी किया गया है जिसे देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि पहाड़ी मार्गों पर यात्रा करने से बचा जाए। राज्य सरकार को खासतौर से ऐसे ग्रामीणों की सुरक्षा का चक्र तैयार करना होगा जो प्राकृतिक आपदाओं का शिकार बनते आए हैं या जिन पहाड़ी क्षेत्रों में बसे हुए गांव खतरे की जद में आ सकते हैं

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