उत्तराखंड

बद्रीनाथ हाईवे में ट्रीटमेंट कार्य पर 45 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी धंस गया सड़क का सौ मीटर हिस्सा

गोपेश्वर: बद्रीनाथ हाईवे के मैठाणा भूस्खलन क्षेत्र में ट्रीटमेंट कार्य पर 45 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी सड़क का सौ मीटर हिस्सा धंस गया। ऐसे में निर्माणदायी कंपनी आरजी बिल्डवेल इंजीनियर्स लि. और मैकाफेरी एन्वायरनमेंटल साल्यूशंस प्रा.लि. की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है। वहीं, नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्टचर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) के अधिकारी अब इस हिस्से में मिट्टी भरवा रहे हैं, ताकि वहां से वाहनों की आवाजाही कराई जा सके। अधिकारियों ने भूस्खलन के कारण जानने को अध्ययन करने की बात भी कही है।

बद्रीनाथ हाईवे पर मैठाणा व पुरसाड़ी के बीच वर्ष 2013 में भूस्खलन क्षेत्र उभरा था। तब लगभग 500 मीटर के दायरे में भूधंसाव के साथ ही अलकनंदा नदी से भूकटाव भी हुआ था। वर्ष 2015 आते-आते भूस्खलन इतना बढ़ गया कि वहां एक बहुमंजिला व एक अन्य भवन भरभराकर ढह गए। भूस्खलन का दायरा बढ़ने की स्थिति में मैठाणा व पुरसाड़ी गांव को भी खतरा हो सकता था। लिहाजा, आलवेदर रोड परियोजना के तहत सरकार ने वर्ष 2015-16 में 45 करोड़ की लागत से भूस्खलन क्षेत्र के ट्रीटमेंट की कार्ययोजना बनाई। ट्रीटमेंट कार्य चार वर्ष में पूरा हुआ। इसके तहत अलकनंदा तट से दीवार लगाने के साथ पहाडी से आने वाले पानी की सुरक्षित निकासी की व्यवस्था की गई।

दीवारों के अंदर सेंसर भी लगाए थे, ताकि भूगर्भीय हलचल की मानीटरिंग हो सके। वर्ष 2022 से इस भूस्खलन क्षेत्र के मध्य भाग में सड़क धीरे-धीरे धंसनी शुरू हो गई। हालांकि, तब भूंधसाव वाले स्थान पर पैचवर्क कर इसे नजरअंदाज कर दिया गया। लेकिन, इस मानसून न केवल हाईवे का सौ मीटर से भी ज्यादा हिस्सा धंस चुका है, बल्कि अलकनंदा के किनारे दीवार भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं। जबकि, ट्रीटमेंट करने वाली कंपनी ने पांच वर्ष तक सड़क के सुरक्षित रहने की गारंटी दी थी। जिस तरह सड़क धंस रही है, उससे क्षेत्रवासियों को डर है कि कहीं वर्ष 2013 वाली स्थिति फिर पैदा न हो जाए। एनएचआइडीसीएल के महाप्रबंधक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि भूधंसाव वाले स्थान पर मिट्टी भरकर उसे बराबर किया जा रहा है। हाईवे पर यातायात सुचारू है।

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