राष्ट्रीय

फिलीपींस की संप्रभुता के प्रयासों का भारत पक्षधरः डॉ0 एस0 जयशंकर

नई दिल्ली:- विदेश मंत्री डॉक्‍टर सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा है कि अपनी राष्‍ट्रीय सम्‍प्रभुता बरकरार रखने के फिलि‍पींस के प्रयासों का भारत समर्थन करता है। मनीला में आज फिलीपींस के विदेश मंत्री एनरिक मेनालो के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि प्रत्‍येक देश को अपनी राष्‍ट्रीय संप्रभुता बनाए रखने और उसे लागू करने का अधिकार है। विदेश मंत्री का यह बयान दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ फिलीपींस के समुद्री विवाद के मद्देनजर आया है।

डॉक्‍टर जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत आसियान देशों की केन्‍द्रीयता, सामन्‍जस्‍य और एकता का समर्थक है। उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत को नियमों पर आधारित शासन के ठोस अनुपालन के कारण इस क्षेत्र में बेहतरीन प्रगति और समृद्धि पर भरोसा है। विदेश मंत्री ने कहा कि इस मामले में समुद्री संविधान के तौर पर मान्‍यता प्राप्‍त समुद्री कानूनों के संबंध में संयुक्‍त राष्‍ट्र की 1982 की घोषणा का विशेष महत्‍व है और सभी पक्षों संपूर्णता के साथ इसका पालन करना चाहिए।

डॉक्‍टर जयशंकर ने कहा कि विश्‍व में आ रहे बदलावों को देखते हुए यह आवश्‍यक है कि भारत और फिलीपींस एक-दूसरे के साथ अधिक नजदीक आकर सहयोग करें, ताकि नई उभरती हुई विश्‍व व्‍यवस्‍था को आकार दिया जा सके।

उन्‍होंने कहा कि भारत और फिलीपींस के द्विपक्षीय संबंधों में हाल के समय में बहुत स्‍पष्‍ट रूप से विकास हुआ है। विदेश मंत्री ने बताया कि भारत और फिलिपींस न केवल महत्‍वपूर्ण समुद्री राष्‍ट्र हैं, बल्कि ये दोनों हिन्‍द प्रशांत क्षेत्र के दो किनारे भी हैं।

उन्‍होंने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर जहाजरानी के विकास के लिए भारत और फिलिपींस ने असाधारण प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है। डॉक्‍टर जयशंकर ने कहा कि अब जिस तरह दोनों देशों के संबंधों में प्रगति हो रही है, तो रक्षा-क्षेत्र पर विचार स्‍वभाविक है।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार पिछले वर्ष 3 अरब डॉलर के पार चला गया। उन्‍होंने यह विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि आपसी व्‍यापार में बढ़ोतरी निरंतर जारी रहेगी।

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