उत्तराखंड

पीएम मोदी को भायी उत्तराखंड के इस खास इत्र और परफ्यूम की खुशबू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तिमूर से बने इत्र और परफ्यूम की खुशबू भा गई। वैश्विक निवेशक सम्मेलन में लगी उत्तराखंड के कई स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी के अवलोकन के दौरान सगंध पौध केंद्र सेलाकुई की ओर से प्रधानमंत्री को तिमूर का इत्र और परफ्यूम भेंट किया गया।

पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर उत्तराखंड के उत्पादों को सराहा। तिमूर एक झाड़ीनुमा पौधा है, जो उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। तिमूर के तने का धार्मिक महत्व भी है। इसके बीज का टूथ पेस्ट, मसाले, चटनी, दवाइयों, कॉस्मेटिक, परफ्यूम, इत्र बनाने का किया जाता है। दिसंबर 2021 में प्रधानमंत्री ने प्रदेश में इत्र एवं सुगंध प्रयोगशाला का शुभारंभ किया था।

इसके बाद सगंध पौध केंद्र ने प्रयोगशाला में तिमूर से तेल से इत्र और परफ्यूम तैयार किया है। वैश्विक स्तर पर फूड इंडस्ट्री में तिमूर के बीज और तेल की मांग को देखते हुए प्रदेश सरकार ने तिमूर के व्यावसायिक उत्पादन के लिए मिशन तिमूर शुरू किया है। पहले चरण में पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में 500 हेक्टेयर में तिमूर वैली विकसित की जा रही है।

इसके अलावा सीमावर्ती गांवों में दो हजार हेक्टेयर पर तिमूर की खेती की जाएगी। प्रदर्शनी में अवलोकन के दौरान सगंध पौध केंद्र के निदेशक नृपेंद्र सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री को तिमूर के बीज की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी। साथ ही उन्हें तिमूर से बना इत्र व परफ्यूम भेंट किया।

पीएम मोदी ने पूछा- बिस्कुट बनाकर कितनी हो जाती है कमाई

उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन को संबोधित करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदर्शनी हॉल का उद्घाटन किया। इस दौरान वह सबसे पहले ग्राम्य विकास विभाग के स्टॉल पर पहुंचे। जहां उन्होंने स्टॉल पर खड़ी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी गीता रावत और उमा देवी से बातचीत की और उनके काम के बारे में पूछा।

पीएम मोदी से बातचीत करने पर स्वयं सहायता समूह से जुड़ी गीता रावत और उमा देवी बेहद उत्साहित नजर आईं। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने उनके काम के बारे में उनसे विस्तार से पूछा। बेकरी का काम कब से कर रही हैं, कितनी बिक्री होती है और कितनी कमाई हो जाती है, जैसे सवाल मोदी ने उनसे किए। इस दौरान पीएम ने उन्हें भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं। गीता रावत ने बताया कि उन्होंने पीएम को बताया कि कैसे महिलाएं रोजमर्रा और खेती के काम के साथ समूह से जुड़कर स्थानीय उत्पादों से बेकरी के उत्पाद बनाकर बेचती हैं। इससे उनकी आर्थिकी में बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि वह पौड़ी में जय अंबे स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं और सरकार की यूएसआरएलएम योजना के तहत विभिन्न उत्पादों को बना रही हैं।

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