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राज्य स्थापना दिवस- राष्ट्रपति मुर्मू ने मातृ शक्ति व उत्तराखण्ड की शौर्य परम्परा को किया नमन

  • राष्ट्रपति ने बसंती बिष्ट, माधुरी बड़थ्वाल, सचिदानन्द भारती व राजेन्द्र सिंह बिष्ट को उत्तराखण्ड गौरव सम्मान से नवाजा
  • राष्ट्रपति मुर्मू ने आंदोलनकारी स्वर्गीय सुशीला बलूनी,बिशनी देवी, बछेंद्री पाल, वंदना कटारिया के संगर्ष व साहस का जिक्र किया
  • उत्तराखण्ड के परिश्रमी लोगों की वजह से राज्य ने पकड़ ली विकास की सही दिशा
  • निवेशकों में बढ़ रहा उत्साह, रोजगार के मिलेंगे अवसर

देहरादून:- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर उत्तराखंड की मातृ शक्ति व वीर सैनिकों को नमन करते हुए प्रदेशवासियों को बधाई दी। अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने निवेशकों के राज्य के प्रति बढ़ रहे उत्साह को रेखांकित करते हुए विकास में इकोलॉजी व इकोनॉमी के बीच समन्वय का भी उल्लेख किया। गुरुवार को पुलिस लाइन में आयोजित रैतिक परेड के अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी अलग पहचान स्थापित करने और अपने विकास का रास्ता तय करने का उत्तराखंड के निवासियों का सपना आज ही के दिन यानी 9 नवंबर को, वर्ष 2000 में उत्तरांचल राज्य की स्थापना के साथ पूरा हुआ था। उन्होंने कहा कि उस समय अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। बाद में राज्य का नाम बदलकर उत्तराखंड रखा गया। यह प्रसन्नता की बात है कि नई पहचान के साथ उत्तराखंड के परिश्रमी लोगों ने राज्य के लिए विकास और प्रगति के नित-नूतन शिखरों पर अपने कदम जमाए हैं।

भगवान शिव और भगवान विष्णु के आशीर्वाद-स्वरूप देवालयों से पवित्र उत्तराखंड को ‘देव-भूमि’ कहने की परंपरा वंदनीय है। साथ ही, पर्वतराज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती एवं शक्ति के अन्य पूजनीय स्वरूपों से ऊर्जा प्राप्त करने वाली तथा गंगा-यमुना जैसी नदी-माताओं के स्नेह से सिंचित यह पावन धरती ‘देवी-भूमि’ भी है। यह क्षेत्र ‘जय महा-काली’ और ‘जय बदरी-विशाल’ के पवित्र उद्घोष से गुंजायमान रहता है। हेमकुन्ट साहिब और नानक-मत्ता से निकले गुरबानी के स्वर यहां के वातावरण को पावन बनाते हैं।

पिछले वर्ष दिसंबर के महीने में मुझे उत्तराखंड की यात्रा करने का सु-अवसर मिला था। उत्तराखंड में आने का प्रत्येक अवसर तीर्थ-यात्रा का पुण्य प्राप्त करने की तरह होता है। उत्तराखंड की इस देव-भूमि से मैं सभी देशवासियों के लिए दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं व्यक्त करती हूं और महा-लक्ष्मी से यह प्रार्थना करती हूं कि उत्तराखंड सहित समस्त भारत को वे धन-धान्य तथा सुख और आरोग्य से परिपूर्ण करें।

मातृ शक्ति का विशेष उल्लेख

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उत्तराखंड की अलग पहचान और स्थापना के लिए संघर्ष करने वाली स्वर्गीय श्रीमती सुशीला बलूनी को इस राज्य के सभी निवासी तो याद रखेंगे ही। नारी में संघर्ष की शक्ति के उदाहरण के रूप में उन्हें सभी देशवासी सदैव स्मरण करेंगे। उन्होंने कहा कि श्रीमती सुशीला बलूनी का अदम्य साहस यहां की महिलाओं की गौरवशाली परंपरा के अनुरूप था। श्रीमती बिशनी देवी शाह ने स्वाधीनता संग्राम के दौरान अपने असाधारण साहस का परिचय दिया था। Mount Everest पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाली प्रथम महिला बछेन्द्री पाल और पेड़ों को बचाने के लिए युद्ध-स्तर पर संघर्ष करने वाली गौरा देवी जैसी उत्तराखंड की महिलाओं ने पूरे देश के लिए आदर्श प्रस्तुत किए हैं।

हाल ही में उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया ने एशियन खेल में शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसी महिलाओं ने उत्तराखंड की संस्कृति को मजबूत बनाया है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को अनुमति प्रदान करते समय मुझे विशेष प्रसन्नता हुई थी क्योंकि वह अधिनियम उत्तराखंड सहित हमारे देश की बहनों और बेटियों के लिए राष्ट्र-निर्माण में उच्च-स्तरीय योगदान देने हेतु मार्ग प्रशस्त करता है। उत्तराखंड की यह भूमि वीर-प्रसवा रही है।

स्वाधीनता के बाद के सभी युद्धों में उत्तराखंड के वीरों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है। मैं उन सभी वीरों को और वीर-भूमि उत्तराखंड को नमन करती हूं। भारतीय सेना में शामिल होकर भारत-माता की रक्षा करने में यहां के युवा गर्व की अनुभूति करते हैं। राष्ट्र की रक्षा के प्रति उत्साह का यह भाव सभी देशवासियों के लिए अनुकरणीय है।

हमारी थल सेना के दो regiments, Kumaon Regiment और Garhwal Regiment का नाम उत्तराखंड के क्षेत्रों के आधार पर रखा गया है। यह उत्तराखंड की शौर्य परंपरा को रेखांकित करता है। भारत के प्रथम Chief of Defence Staff जनरल बिपिन रावत इसी धरती के सपूत थे। हमारे वर्तमान Chief of Defence Staff जनरल अनिल चौहान  उत्तराखंड के ही निवासी हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड की फिजिकलऔर डिजिटल कनेक्टिविटी निरंतर बढ़ाई जा रही है। भारत की अध्यक्षता में हुए G20 से जुड़ी गतिविधियों के क्रम में G20 के Infrastructure Group की एक बैठक ऋषिकेश में सम्पन्न हुई थी। उस बैठक में विश्व-स्तरीय infrastructure के निर्माण से जुड़ी सार्थक चर्चाएं हुईं। उत्तराखंड में infrastructure development तेज गति से हो रहा है। साथ ही, आपदा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। uttarakhand 09 November, Raising Day 2023

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