खतरा! नहीं सुधरा चीन पैंगोंग त्सो झील के पास बना रहा पुल
चीन: लद्दाख सीमा पर हुए विवाद के बाद भी चीन सुधरने की नाम नही ले रहा। चीन ने पूर्वी लद्दाख में अपनी निर्माण गतिविधियां और तेज कर दी हैं। सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ जारी सैन्य वार्ताओं के बीच भी उसने इन्हें रोका नहीं है। खबर है कि पैंगोंग त्सो झील के पास उसका पुल निर्माण का कार्य लगभग पूरा होने वाला है। गलवान इलाके में भी वह सड़कें व पुल बना रहा है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने उपग्रह से ली गई तस्वीरें जारी करते हुए यह दावा किया है।
खबर के मुताबिक पैंगोंग त्सो झील इलाके की उपग्रह से मिली नई तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने इस झील के उत्तरी व दक्षिणी तटों को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण कार्य शीतकाल में और तेज कर दिया। यह पुल भारत द्वारा दावा की जा रही सीमा रेखा के एकदम करीब और दशकों से चीन के कब्जे में रहे हिस्से में बनाया जा रहा है।
ये तस्वीरें अंतरिक्ष फर्म मैक्सर टेक्नालॉजीज ने जारी की हैं और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा जारी तस्वीरों के साथ उनका विश्लेषण किया गया है। खबरों में कहा गया है कि चीन ने झील के उत्तरी इलाके में निर्माण कार्य पिछले साल सितंबर में शुरू किया था। यह अब दक्षिणी तट से कुछ मीटर दूर ही बाकी रह गया है और लगभग पूरा होने की कगार पर है। चीन ने शीतकाल में भी भारत से सटे इस सीमावर्ती इलाके में निर्माण कार्य तेजी से जारी रखा। ऐसी ही निर्माण गतिविधियां चीन ने गलवान इलाके में भी की हैं।
315 मीटर लंबा है पुल
उपग्रह की तस्वीरों के विश्लेषण से पता चलता है कि चीन द्वारा तैयार किया जा रहा पुल करीब 315 मीटर लंबा है। यह झील के दक्षिण तट को उत्तर तट से जुड़े इलाके में हाल में बनाई गई सड़क से जोड़ता है। तस्वीरों में चीनी मशीनें व निर्माण में जुटे संसाधन भी नजर आते हैं।
अवैध कब्जे वाले इलाके में निर्माण भारत को मंजूर नहीं
इस माह के आरंभ में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि पुल का निर्माण उस इलाके में किया जा रहा है, जिस पर चीन ने बीते 60 सालों से अवैध कब्जा कर रखा है। भारत को उसका यह अवैध निर्माण मंजूर नहीं है।
कैलाश की चोटियों पर भारत को कब्जे से रोकना है मकसद
दरअसल, चीन पैंगोंग इलाके में निर्माण कार्य इसलिए कर रहा है, क्योंकि वह अगस्त 2020 की स्थिति फिर नहीं बनने देना चाहता है। तब भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को धता बताते हुए कैलाश पर्वत की कई महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद पैंगोंग के दक्षिण तट पर दोनों देशों की सेनाएं 200 मीटर से कम दूरी पर होकर आमने-सामने आ गई थीं। हालांकि तब दोनों पक्षों ने परस्पर समझौता कर अपनी अपनी सेनाएं पीछे हटा ली थीं।