मुख्य सचिव के आदेश को भी नहीं मानते जल संस्थान के आला-अधिकारी
देहरादून:- उत्तराखंड की धामी सरकार सरकारी सिस्टम को ढर्रे पर लाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही हैं। सुबह ऑफिस टॉइम से लेकर फाइलों की मूवमेंट को लेकर कड़े निर्देश जारी किए गये हैं। ट्रांसफर पॉलिसी को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए आला-अधिकारियों को कर्मियों का प्राथमिकता के आधार पर चिन्हीकरण के आदेश दिये गये थे। मुख्य सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश जारी किए थे कि 30 अप्रैल तक सभी विभागाध्यक्ष स्थानांतरण को लेकर कर्मियों के चिन्हीकरण का काम करेंगे। उसके बाद 1 मई तक सभी विभागों की तरफ से विभाग, मंडल और जनपद स्तर पर स्थानांतरण समितियों का गठन किया जाएगा। इसके बाद 15 मई तक सभी संवर्ग के लिए सुगम व दुर्गम क्षेत्र के लिए पात्र कर्मियों व रिक्तियों की सूची प्रकाशित की जाएगी। इस तरह 10 जुलाई तक स्थानांतरण के आदेश को लेकर अंतिम तारीख तय की गई है।
जल संस्थान में जिसकी लाठी उसकी भैंस
मुख्य सचिव के इस आदेश के बाद तमाम विभाग तो हरकत में आये लेकिन उत्तराखंड जल संस्थान के कानों में जूं नहीं रेंगी। मुख्य सचिव के आदेश को लगभग दो महीने पूरे होने वाले हैं लेकिन जल संस्थान के आला अधिकारियों का सुस्त रवैया बरकरार है। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि देहरादून में कई अधिकारी व कर्मचारी अपने रसूख व नेताओं से पहुंच के चलते सालों से जमे हुए हैं। कुछ तो ऐसे हें कि जिनकी देहरादून में ही ज्वाइनिंग हुई और दो बार प्रमोशन होने के बाद भी उसी डिवीजन में तैनाती की गई है। यही नहीं बहुत से अधिकारी-कर्मचारी ऐसे भी हैं जो कभी दुर्गम क्षेत्रों से सुगम में आये ही नहीं। यानि उत्तराखंड जल संस्थान पर जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत फिट बैठती है। पड़ताल करने पर हमने पाया कि जल संस्थान के अधिकारी-कर्मचारी सेटिंग गेटिंग में भी माहिर है। जैसे ही इन्हें तबादलों का पता चलता है ये अपनी उपरी पहुंच का इस्तेमाल कर इसे रूकवा देते हैं।
आपको बता दें उत्तराखंड में कोरोना की दस्तक के साथ ही सरकार की तरफ से स्थानांतरण सत्र को शून्य कर दिया गया था. लेकिन अब संक्रमण के कम होने के बाद वार्षिक स्थानांतरण सत्र 2022-23 के लिए तबादलों को लेकर समय सारणी जारी कर दी गई है। प्रदेश में कोरोना के चलते पिछले करीब 2 सालों से वार्षिक स्थानांतरण की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा पा रहा था. सरकार की तरफ से आपदा की स्थिति के कारण वार्षिक स्थानांतरण को शून्य करने का निर्णय लिया गया था. यानी लोक सेवकों के स्थानांतरण वार्षिक रूप से होने की प्रक्रिया पर रोक लगाई गई थी. लेकिन अब कोरोना मामले कम होने के बाद वार्षिक स्थानांतरण सत्र 2022-23 के लिए सरकार की तरफ से एक बार फिर समय सारणी जारी कर दी गई है।