सशक्त भू कानून व मूल निवास के मुद्दे पर दिन भर सत्ता व जनता को झकझोरने में देहरादून में उमड़े हजारों आंदोलनकारी
देहरादून:- कई साल की खामोशी के बाद दून की सड़कों पर जोरदार हुंकार कानों पर पड़ी। सभी के होठों पर मूल निवास व सशक्त भू कानून के नारे … ढोल दमाऊ…डमरू.. थाली चिमटा.. और राज्य के ज्वलन्त सवालों से गुथे नारे व गीत की गूंज दूर- दूर तक सुनी गई। उमड़े जनसैलाब ने एक नये आंदोलन की नींव रख दी। रविवार को देहरादून एक नये आंदोलन का गवाह बना। आंदोलनकारी ताकतें..जन गीत की थाप पर सशक्त भू कानून व मूल निवास के मुद्दे पर दिन भर सत्ता व जनता को झकझोरने में जुटे रहे।
मूल निवास स्वाभिमान रैली में उठे मुद्दे-
उत्तराखंड में मूल निवास लागू किए जाने और इसकी कट ऑफ डेट 26 जनवरी 1950 घोषित किए जाने के साथ ही सशक्त भू कानून लागू किए जाने की पुरजोर तरीके से मांग उठाई गई।
हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून लागू करने की मांग की
- ठोस भू कानून बनाए सरकार
- शहरी क्षेत्र में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो
- ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने
- गैर काश्तकार की ओर से कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे
- पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे
- प्रदेश सरकार राज्य गठन के बाद की विभिन्न संस्थानों, कंपनियों, व्यक्तियों आदि को दान या लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक करे
- पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय निवासी का 25 प्रतिशत और जिले के मूल निवासी का 26 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित किया जाए
- ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए
शहीद स्मारक पर हुई जनसभा
दून के मुख्य मार्ग से गुजरने के बाद आन्दोलनकरियों ने राज्य आंदोलन के सर्वमान्य नेता रहे स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा को नमन किया। शहीद स्मारक पर आयोजित सभा में आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने कहा कि 42 से ज्यादा शहादत देने के बाद इस राज्य बना। और 24 साल में पर्वतीय इलाके पिछड़ते चले गए। लोगों को न तो सशक्त भू कानून ही मिला और न ही उनके हक हकूक।
मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि यह उत्तराखंड की जनता की अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है। आंदोलन का नेतृत्व उत्तराखंड की आम जनता कर रही है। जन कवि अतुल शर्मा ने कविताएं सुनाकर माहौल में जोश भरा।
इस मूल निवास स्वाभिमान महारैली में उत्तराखंड क्रांति दल, राज्य आंदोलनकारी, महिला मंच, उत्तराखण्ड स्वाभिमान सेना, पूर्व सैनिक संगठन, कांग्रेस पार्टी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी समेत अन्य जिलों से पहुंचे विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने भाग लिया।