उत्तराखंड

उत्तराखंड पुलिस ने सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के तहत ई-बीट एप और सीईआईआर सेवा का किया शुभारंभ

देहरादून:– स्मार्ट पुलिसिंग के विजन को साकार करने और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विकास की धारा को समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचाने और सरलीकरण, समाधान व निस्तारण पर फोकस किए जाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के तहत आज ई-बीट एप और सीईआईआर सेवा की शुरुआत की है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी का कहना है कि पुलिस का यह ई-बीट ऐप और सीईआईआर सेवा स्मार्ट पुलिसिंग के माननीय प्रधानमंत्री जी के विजन को साकार करने में सहायक सिद्ध होगी।

आम जनता को पुलिस से संबंधित विभिन्न सुविधाएं आसानी से प्रदान करने और कानून व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से ई-बीट एप को तैयार किया गया है। इस ऐप के माध्यम से विभिन्न बीट में कार्य कर रहे कांस्टेबलों और पुलिस अधिकारियों को अपना कार्य आसानी से पूर्ण करने में सहायता मिलेगी साथ ही वे बिना पुलिस स्टेशन आए थाने में बैठे अधिकारियों को आपराधिक और अन्य गतिविधियों की जानकारी प्रेषित कर सकेंगे। बीट कांस्टेबल अपनी बीट में स्थित मंदिरों, स्कूलों, अस्पतालों आदि के बारे में भी सूचनाएं और सामान्य जानकारी एकत्रित कर ऐप पर दिखा सकते हैं, जिन्हें अन्य लोग देख सकते हैं।

इस ऐप का उपयोग कर पुलिस मोबाइल के माध्यम से ही नागरिकों को विभिन्न मामलों में आसानी से सत्यापन की सुविधा मिल सकेगी। पुलिस कर्मचारी सीसीटीएनएस के लॉगिन आईडी और पासवर्ड के माध्यम से इसमें लॉग इन कर सकते हैं। ई-बीट ऐप एक सुरक्षित और शीघ्रातिशीघ्र पुलिस से संपर्क करने का एक आसान माध्यम है।

इसी प्रकार यदि किसी का फोन चोरी या गुम हो जाता है और व्यक्ति इसकी रिपोर्ट करता है तो सीईआइआर की मदद से फोन को ब्लॉक किया जा सकता है ताकि इसका गलत उपयोग न हो। यदि कोई व्यक्ति सिम कार्ड बदल के भी फोन का उपयोग करना चाहेगा तो यह संभव नहीं हो पाएगा। सीईआईआर मोबाइल के आईएमईआई डेटाबेस पर और मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों व टेलीकॉम ऑपरेटर के साथ मिलकर काम करता है।

पुलिस ने अपने सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स) को सीईआईआर (सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर) के साथ इंटीग्रेट करने की प्रोसेस शुरू कर दी है, जिससे खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की समस्या का समाधान होगा और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सकेगी।

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