यमकेश्वर विधानसभा परिवर्तन की राह पर
यमकेश्वर:- 20 सालों से यमकेश्वर में बीजेपी का एक क्षत्रप राज रहा है, यहॉ पर 04 बार जनता ने बीजेपी को बहुमत देकर विधानसभा भेजा। पिछली बार की विधायक ऋतु खण्डूरी को इस बार कोटद्वार से मैदान में उतारा है, उनके यमकेश्वर में किये गये विकास कार्यां को गिनाने वाला इस समय भाजपा में नहीं दिखाई दे रहा है, यमकेश्वर भाजपा के पास सिर्फ केन्द्र की योजनाओं और मोदी योगी जी के नाम के अलावा कोई अन्य विकास का रोड़ मैप नहीं है, राम के नाम पर आगे बढते हुए स्थानीय मुद्दों से बचती दिख रही है। वहीं इस बार यमकेश्वर के मतदाताओं का मिजाज कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा है।
भले ही सोशल मीडिया भाजपामय हो गया हो, लेकिन धरातलीय स्थिति कुछ और ही बयां करती नजर आ रही है, क्योंकि इस बार जनता यहॉ परिवर्तन की बात कर रही है, क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि यमकेश्वर के तीन मुख्य मार्ग जिनमें सिलोगी गुमखाल, लक्ष्मणझूला-काण्डी, पौखाल, दुगड्डा मोटर मार्ग, कौड़िया किमसार मोटर मार्ग जिन पर चलना दुभर हो गया है, 20 सालों में इन रो़ड़ों का कायाकल्प हो जाना चाहिए था स्थिति जस की तस बनी हुई है। बीन नदी पुल का शिलान्यास अभी तक नहीं हो पाया है, क्षेत्र में अशासकीय विद्यालयों में स्थायी शिक्षक नहीं है, स्कूलों के प्रान्तीयकरण की मॉग ठण्डे बस्ते में चली गयी है, वहीं चिकित्सालयों में डॉक्टर नहीं है, आधुनिक उपकरण नहीं है, जो एम्बूलेंस क्षेत्र के लिए दी थी वह क्षेत्र में नहीं दिखायी दे रहे हैं, साथ ही जगह जगह मोबाईल कनैक्टिविटी नहीं है। यह विधानसभा चुनाव हैं, इसमें राष्ट्रीय मुद्दों के साथ साथ क्षेत्रीय विकास के मुद्दों का अहम रोल है, यहॉ पर्यटन नीलकंठ से आगे नहीं जा पा रहा है। स्थानीय मंदिरों को पर्यटन से जोड़कर उन्हें रोजगार से जोड़ने का कार्य पिछले 20 सालों में नहीं हुआ है।
यदि पिछले 05 सालों का आंकलन किया जाय तो निवर्तमान विधायक ने यमकेश्वर में विकास के लिए प्रयास किये किंतु पार्टी ने उनको यहॉ की बजाय कोटद्वार से टिकट दे दिया जिससे उनके विकास की उपलब्धि को यमकेश्वर भाजपा गिनाने में कतरा रही है। वहीं इस बार शैलेन्द्र रावत के पास खोने के लिए कम और पाने के लिए ज्यादा नजर आ रहा है, क्यांंकि काग्रेंस यहॉ से अभी तक जीत दर्ज नहीं कर पा रही है, अतः काग्रेंस के पास इस समय इस सूखा को मिटाने का सुअवसर नजर आ रहा है, जिस तरह यमकेश्वर में शैलेन्द्र रावत के पक्ष में जनसमर्थन बढता नजर आ रहा है, वह कहीं ना कहीं बीजेपी में अंदर खाने असहज जरूर महसूस कर रही है।
यमकेश्वर बीजेपी के वरिष्ठ भाजपा कर्ताओं की उपेक्षा भी इसका एक मुख्य कारण बताया जा रहा है। वहीं काग्रेंस ही बीजेपी है, और बीजेपी ही काग्रेंस है, ऐसे में मूल भाजपा कैडर का मतदाताओं का कहना है कि इस बार हमने मूल भाजपा के पक्ष मेंं मतदान करने का निर्णय लिया है। जिस तरह से गुमखाल और नीलकंठ के पास पीपलकोटि में शैलेन्द्र रावत के पक्ष में काग्रेंस में एकजुटता नजर आयी है, और पहली बार यमकेश्वर में काग्रेंस एक जुट होकर आगे बढ रही है, वह कहीं ना कहीं बीजेपी के गढ को हिलचोले देती नजर आ रही है।
हालांकि अभी बीजेपी ओर कांग्रेस दोनो बराबर कि स्थिति में है, और आखिरी चुनाव प्रचार में यमकेश्वर में बहुत कुछ परिवर्तन देखने को मिल सकता है, वहीं यूकेड़ी भी अपना प्रचार कर रही है, बीजेपी से असंतुष्ट मतदाता इस बार यूकेड़ी के पक्ष में मतदान कर सकता है, ऐसे में बीजेपी को अपना गढ बचाने के लिए प्रयास करना होगा, लेकिन जिस तरह से शैलेन्द्र रावत के चेहरे पर लडे जाने वाला काग्रेंस का यह चुनाव अभी तक तो परिवर्तन की ओर ईशारा करता नजर आया है, और जनता का मूड़ भी परिवर्तम की ओर लग रहा है।हालांकि अभी बीजेपी के स्टार प्रचारकों की रैली से भी काफी कुछ हवाओं का रूख बदलेगा ओर बीजेपी के पक्ष में हवा बन सकती है, लेकिन कहीं ना कहीं अभी यमकेश्वर बीजेपी खुद को असहज जरूर महसूस कर रही है।