राष्ट्रीय

पीएम मोदी का ऐलान, “भारत विश्व की टॉप-3 अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा”

भारत के लिए आज का दिन कई मायनों में अहम है. आज पहली बार नई संसद भवन की इमारत में सदन की कार्यवाही प्रारंभ होगी. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं. आज हम यहां विकसित भारत का संकल्प दोहराना, फिर एक बार संकल्प बद्ध होना और उसका परिपूर्ण करने के लिए जी जान से जुटने के इरादे से नए भवन की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि यह भवन और उसमें भी यह सेंट्रल हॉल, एक प्रकार से हमारी भवानाओं से भरा हुआ है. हमें भावुक भी करता है और हमें कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है. आजादी के बाद में संविधान सभा की बैठकें यहां हुईं और संविधान सभा की बैठकों के द्वारा गहन चर्चा के बाद हमारे संविधान ने यहां आकार लिया.

पीएम ने कहा कि यहीं पर 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतर किया. 1952 में करीब 42 राष्ट्राध्यक्षों ने इस सेंट्रल हॉल में अपना संबोधन दिया. आगे पीएम ने कहा कि हमारे राष्ट्रपति महोदयों द्वारा 86 बार संबोधित किया गया… दोनों सदनों ने मिलकर करीब 4000 क़ानून पास किए हैं.

संसद के विशेष सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज भारत पांचवी अर्थव्यवस्था पर पहुंचा है लेकिन पहले 3 के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है. मैं जिस स्थान पर हूं उस जानकारी के आधार और विश्व के गणमान्य लोगों से बातचीत करता हूं उस आधार पर कह रहा हूं कि दुनिया आश्वस्त है कि भारत टॉप 3 में पहुंचकर रहेगा.”

आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को सबसे पहले परिपूर्ण करना चाहिए और यह हम से, हर नगारिक से शुरूआत होती है. एक समय ऐसा था कि लोग लिखते थे कि ‘मोदी आत्मनिर्भर की बात करता है, कहीं बहुपक्षीय के सामने चुनौती नहीं बन जाएगा. हमने पांच साल में देखा कि दुनिया भारत के आत्मनिर्भर मॉडल की चर्चा करने लगी है.”

वहीं, पीएम मोदी के संबोधन से पहले राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी संसद को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हम सभी आज यहां एक साथ ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में भारत की संसद की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए हैं. इसी सेंट्रल हॉल में संविधान सभा की बैठक 1946 से 1949 तक हुई थी. आज हम विनम्रतापूर्वक डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बीआर अंबेडकर के योगदान को याद कर रहे हैं.

सदन को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी संबोधित किया. अधीर रंजन ने कहा कि मैं इस अवसर का लाभ उठाते हुए, बिना किसी मलाल के और बिना कुछ कहे, मैं कहना चाहूंगा कि मैं इस मंच पर खड़ा होकर उत्साहित महसूस कर रहा हूं, जिसने दिग्गजों की आकाशगंगा के बीच ऐतिहासिक घटनाओं और कई महत्वपूर्ण घटनाओं का कारवां देखा है.

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