राष्ट्रीय

रक्षा मंत्रालय ने 39125 करोड़ रुपये के पांच पूंजी अधिग्रहण अनुबंधों पर किए हस्ताक्षर

नई दिल्ली:- रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और मेक-इन-इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिए 39125 करोड़ रुपये के पांच पूंजी अधिग्रहण अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। इन अनुबंधों पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये गये। पांच अनुबंधों में मैसर्स हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिग-29 विमान के एयरो-इंजन के लिए एक अनुबंध, क्लोज-इन वेपन सिस्टम के लिए मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ दो अनुबंध और ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए तथा भारतीय रक्षा बलों के लिए पोत पर तैनात की जाने वाली ब्रह्मोस प्रणाली के लिए मैसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ दो अनुबंध शामिल हैं। ये समझौते भविष्य में स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करेंगे, विदेशी मुद्रा बचाएंगे और विदेशी उपकरण निर्माताओं पर निर्भरता को कम करेंगे। मिग-29 विमानों के आरडी-33 एयरो इंजन के लिए मैसर्स हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 5249 करोड रुपये की लागत का अनुबंध किया गया।

क्लोज-इन वेपन सिस्टम की खरीद के लिए मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ 7,668.82 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। सीआईडब्ल्यूएस देश के चुनिंदा स्थानों पर टर्मिनल एयर डिफेंस प्रदान करेगा। यह परियोजना भारतीय एयरोस्पेस, रक्षा और एमएसएमई सहित संबंधित उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देगी। राडार की खरीद के लिए मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ 5,700.13 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। यह छोटे रडार क्रॉस सेक्शन लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम परिष्कृत सेंसर के एकीकरण के साथ वायुसेना की क्षमताओं में काफी वृद्धि करेगा। यह स्वदेशी रडार निर्माण तकनीक को बढ़ावा देगा क्योंकि यह भारत में निजी क्षेत्र द्वारा निर्मित अपनी तरह का पहला रडार होगा। ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए मैसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 19,518.65 करोड़ रुपये की लागत के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन मिसाइलों का उपयोग नौसेना के लड़ाकू संगठन और प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *