मुंबई ने उत्तराखंड को 725 रनों से हराकर 92 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा
अलूर: रणजी ट्रॉफी 2021-22 के दूसरे क्वार्टरफाइनल में मुंबई ने उत्तराखंड को हरा दिया। 41 बार की चौंपियन टीम मुंबई ने रिकॉर्ड जीत के साथ सेमीफाइनल में अपना स्थान पक्का किया। वहां उसका मुकाबला उत्तर प्रदेश से होगा। मुंबई ने उत्तराखंड को 725 रनों से हराया। रनों के लिहाज से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में यह सबसे बड़ी जीत है। उसने 92 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में रनों के लिहाज से सबसे बड़ी जीत ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स की टीम ने हासिल की थी। उसने 1929-30 सीजन में क्वींसलैंड को 685 रन से हराया था। वहीं, रणजी ट्रॉफी के इतिहास की बात करें तो यह रिकॉर्ड बंगाल के नाम दर्ज था। उसने 1953-54 सीजन में ओडिशा को 540 रनों से हराया था।
उत्तराखंड के नौ बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा नहीं छू सके
कर्नाटक के अलूर स्थित केएससीए क्रिकेट ग्राउंड (2) पर मुंबई ने दूसरी पारी में उत्तराखंड को 69 रनों पर ही ऑलआउट कर दिया। उत्तराखंड के सिर्फ दो बल्लेबाज ही दहाई के आंकड़े को छू सके। शिवम खुराना ने सबसे ज्यादा नाबाद 25 और कुणाल चंडेला ने 21 रन बनाए। मुंबई के लिए धवल कुलकर्णी, शम्स मुलानी और तनुष कोटियान ने तीन-तीन विकेट लिए। मोहित अवस्थी को एक सफलता मिली।
मुंबई ने दोनों पारियों में की बल्लेबाजी
इससे पहले मुंबई के कप्तान पृथ्वी शॉ ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। टीम ने पहली पारी में डेब्यू करने वाले सुवेद पारकर के 252 और सरफराज खान के 153 रनों की बदौलत आठ विकेट पर 647 रन बनाए। वहीं, उत्तराखंड की टीम पहली पारी में 114 रन ही बना सकी। मुंबई को पहली पारी में 533 रनों की बढ़त मिली। इतने रनों के बढ़त के बावजूद मुंबई ने दूसरी पारी में बल्लेबाजी का फैसला किया। इस बार उसने तीन विकेट पर 261 रन बनाए। दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल ने 103, पृथ्वी शॉ ने 72 और आदित्य तारे ने 57 रन बनाए। इस तरह उत्तराखंड को जीत के लिए 795 रनों का लक्ष्य मिला।
रणजी में दो दिनों में बने दो रिकॉर्ड
मुंबई की सबसे जीत से एक दिन पहले ही रणजी में बंगाल ने एक बड़ा रिकॉर्ड बनाया था। उसके नौ बल्लेबाजों ने पहली पारी में 50 या उससे ज्यादा रन बनाए थे। यह प्रथम श्रेणी इतिहास के 250 सालों में पहली बार हुआ था। इससे पहले आठ बल्लेबाजों ने प्रथम श्रेणी मैच की एक पारी में 50 या उससे ज्यादा रन बनाए थे। ऐसा 1893 में हुआ था। तब ऑस्ट्रेलियंस और ऑक्सफोर्ड एंड कैंब्रिज यूनिवर्सिटी पास्ट एंड प्रिजेंट टीम के बीच एक मैच खेला गया था। उस मुकाबले की एक पारी में ऑस्ट्रेलियंस टीम के आठ बल्लेबाजों ने अर्धशतक लगाए थे।