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3 जून को पर्दे पर आने वाली तीन फिल्मों की होगी टक्कर, जानिए कौन-सी हैं यह तीन फिल्में और क्या खास है इन फिल्मों में

सिनेमाघरों में खोई रौनक वापस आ गई है। लोग फिल्में देखने के लिए सिनेमाघरों का रुख करने लगे हैं। कोरोना वायरस के कारण जिन फिल्मों का प्रोजेक्ट बाधित हुआ था, उनपर तेजी से काम चल रहा है। यही वजह है कि आने वाले दिनों में बॉक्स ऑफिस पर एक के बाद एक कई फिल्में रिलीज होंगी। 3 जून को पर्दे पर तीन बड़ी फिल्में रिलीज होने जा रही हैं और साथ ही उनके बीच जबरदस्त टक्कर होगी जो देखने में उतना ही मजा देने वाली है जितनी की यह तीन फिल्में। आइए उन फिल्मों पर एक नजर डालते हैं और जानते हैं की कौन सी हैं वो तीन फिल्में जिनका युद्ध होगा 3 जून को सिनेमाघरों के अखाड़े में।

अक्षय कुमार की पीरियड ड्रामा फिल्म “पृथ्वीराज” 3 जून को ही सिनेमाघरों में दस्तक देगी। इसमें वह महान योद्धा पृथ्वीराज चौहान की भूमिका में नजर आएंगे। फिल्म के जरिए पूर्व मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर बॉलीवुड में कदम रखेंगी। संजय दत्त और सोनू सूद भी फिल्म का हिस्सा हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, मेकर्स ने फिल्म पृथ्वीराज के लिए 50,000 से अधिक कॉस्टयूम्स बनाए थे। इतना ही नहीं, फिल्म की शूटिंग के दौरान अलग-अलग तरह की 500 पगडिय़ों का भी इस्तेमाल किया गया। यही वजह है कि फिल्म में अक्षय के लुक को सराहा गया।

“मेजर” शहीद संदीप उन्नीकृष्णन के जीवन पर बनने वाली फिल्म है। अभिनेता अदिवी पर्दे पर संदीप का किरदार निभाते हुए दिखेंगे। 3 जून को यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस के महामुकाबले में शामिल होगी। मेजर संदीप एक एनएसजी कमांडो थे, जो 26/11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। उन्होंने ताज होटल में बंधक बनाए गए लोगों को बचाने के लिए अपनी शहादत दे दी थी। इसलिए इस फिल्म के प्रति लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं।

हाल में हिंदी बेल्ट में दक्षिण भारतीय फिल्मों का बोलबाला रहा है। अब एक और साउथ फिल्म जल्द रिलीज होने वाली है। साउथ सुपरस्टार कमल हासन की “विक्रम” भी बॉक्स ऑफिस पर अपनी जोर-आजमाइश करती दिखेगी। खास बात यह है कि यह फिल्म दक्षिण भारतीय भाषा के अलावा हिंदी में भी रिलीज होगी। ऐसे में यह फिल्म पृथ्वीराज और मेजर के समक्ष कड़ी चुनौती पेश करेगी। इसमें अभिनेता सूर्या कैमियो की भूमिका में नजर आएंगे।

बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों में क्लैश होती रहती हैं। ये अलग बात है कि मेकर्स हमेशा क्लैश से बचना चाहते हैं। जब बड़े बैनर की फिल्मों में टक्कर होती है, तो दर्शक बंट जाते हैं। इससे प्रोड्यूसर को नुकसान उठाना पड़ता है। जब कोई फिल्म खाली स्लॉट में रिलीज होती है, तो दर्शकों के पास कम विकल्प होता है। आमतौर पर जब अधिक फिल्मों में क्लैश होता है, तो अच्छे कंटेंट वाली फिल्म बाजी मार लेती है।

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