राष्ट्रीय

लोकसभा: जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक और आरक्षण संशोधन विधेयक पारित

लोकसभा से जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 पारित हो गया है। इसमें कश्मीरी पंडित समुदाय के दो सदस्यों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधान सभा में नामित करने का प्रावधान है।

सदन ने जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक भी पारित किया, जो नियुक्ति और प्रवेश में आरक्षण के लिए पात्र लोगों के एक वर्ग के नामकरण को बदलने का प्रयास करता है। दो दिनों तक चली छह घंटे से अधिक की बहस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जोशीले जवाब के बाद विधेयक पारित कर दिए गए।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए जम्मू कश्मीर से संबंधित दो विधेयक पिछले 70 वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित लोगों को न्याय देंगे। कहा कि विस्थापित लोगों को आरक्षण देने से उन्हें विधायिका में आवाज मिलेगी।

विधानसभा में नौ सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित

गृह मंत्री के मुताबिक, विधानसभा में नौ सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित की गई हैं। पीओके लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं, क्योंकि पीओके हमारा है। उन्होंने कहा कि इन दोनों संशोधन को हर वो कश्मीरी याद रखेगा जो पीड़ित और पिछड़ा है। विस्थापितों को आरक्षण देने से उनकी आवाज जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में गूंजेगी। शाह ने कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के सवालों पर कहा कि कश्मीरी विस्थापितों के लिए 880 फ्लैट बन गए हैं और उनको सौंपने की प्रक्रिया जारी है।

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू साधा निशाना

अमित शाह ने देश के पहले प्रधानमंत्री पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई दो भूलों के कारण जम्मू-कश्मीर को नुकसान उठाना पड़ा। इनमें पहली संघर्ष विराम की घोषणा और फिर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना शामिल था। यदि जवाहरलाल नेहरू ने सही कदम उठाए होते, तो पीओके हमारा हिस्सा होता। उन्होंने सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों का दर्द समझते हैं तथा एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने पिछड़ों के आंसू पोंछे हैं।

उन्होंने कहा कि मैं यहां जो विधेयक लेकर आया हूं, वह उन लोगों को न्याय दिलाने और उनका अधिकार दिलाने से संबंधित है, जिनके खिलाफ अन्याय हुआ, जिनका अपमान हुआ और जिनकी उपेक्षा की गई। किसी भी समाज में जो लोग वंचित हैं उन्हें आगे लाना चाहिए, यही भारत के संविधान की मूल भावना है। उन्हें इस तरह से आगे लाना होगा जिससे उनका सम्मान कम न हो। अधिकार देना और सम्मानपूर्वक अधिकार देना दोनों में बहुत अंतर है। इसलिए इसका नाम कमजोर और वंचित वर्ग की बजाय अन्य पिछड़ा वर्ग किया जाना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि सवाल किया जाता है कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद कश्मीर में क्या हासिल हुआ। शाह ने कहा कि पहले लोग कहते थे कि अनुच्छेद 370 समाप्त हो जाएगी तो वहां खून की नदियां बह जाएंगी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इसके प्रावधानों को समाप्त कर दिया और एक कंकड़ तक उछाला गया।

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